प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की अनुपस्थिति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि शिक्षकों की अनुपस्थिति प्राथमिक शिक्षा की जड़ों को खोखला कर रही है। कोर्ट ने कहा कि विभाग के अधिकारियों को अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों पर कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। यह टिप्पणी करते हुए अदालत ने बुलंदशहर की शिक्षिका पूनम रानी की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अजय भनोट ने यह टिप्पणी की।
अनुपस्थित रहने की शिकायतों पर पूनम रानी को पूर्व माध्यमिक विद्यालय, अनहेड़ा के सहायक अध्यापिका पद से उच्च प्राथमिक विद्यालय, सैमाली में संबद्ध कर दिया गया। बाद में उनकी संबद्धता वापस ले गई और जूनियर हाईस्कूल अनहेड़ा में तैनात कर दिया गया है। याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी।
हाईकोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि यह स्थापित कानून है कि स्थानांतरण सेवा का एक हिस्सा है। स्थानांतरण के संबंध में न्यायिक समीक्षा का दायरा सीमित है। स्थानांतरण के आदेश पर दुर्भावना से प्रेरित होकर या वैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन में पारित किए जाने के सीमित आधार पर ही विचार किया जा सकता है। किसी भी कर्मचारी को एक विशेष स्थान पर अनिश्चित काल तक बने रहने का अधिकार नहीं है।
इस मामले में कोई दुर्भावना या किसी वैधानिक प्रावधान का उल्लंघन साबित नहीं किया गया। इसके अलावा याची के खिलाफ समय से स्कूल नहीं पहुंचने और समय से पहले स्कूल छोड़ने की कई शिकायतें हैं।
इस संबंध में ग्रामीणों द्वारा कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका तीन साल की देरी के बाद दायर की गई है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।