यूपी के परिषदीय शिक्षकों, कर्मचारियों, शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों को सरकार की नई स्वास्थ्य बीमा योजना रास नहीं आ रही है। वजह ये है कि मानदेय का 63 प्रतिशत राशि प्रीमियम के भुगतान में लग जा रहे हैं। और तो और कैशलेस पॉलिसी की मांग कर रहे कहीं अधिक वेतन पाने वाले शिक्षकों को भी प्रीमियम की दरों पर ऐतराज है।
प्रदेश में शिक्षामित्रों का मानदेय 10 हजार रुपये महीना है। इस हिसाब से साल भर का कुल मानदेय एक लाख 20 हजार हुआ अगर वे अपनी पत्नी, दो बच्चों और माता-पिता का स्वास्थ्य बीमा करवाते हैं तो साल भर में उसे 76 हजार प्रीमियम भरना होगा। मतलब कुल मानदेय का 63 फीसदी राशि इसी में चला जाएगा।
बाकी बचे हुए 44 हजार में उनको अपना घर चलाना होगा। यही वजह है कि हाल ही में परिषदीय शिक्षकों, कर्मचारियों, शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों के लिए लागू की गई सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना ठंडे बस्ते में जाती दिख रही है। शिक्षक संवर्ग तो इसे कतई स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि जब अन्य राज्यकर्मयों के लिए स्वास्थ्य बीमा निशुल्क है तो उनसे प्रीमियम की राशि क्यों वसूला जाएगा।