विद्यालय संचालन (निपुण भारत कार्यक्रम के क्रियान्वयन) एवं लगातार विभागीय निर्देशों के अनुपालन में आ रही व्यावहारिक समस्याओं के सम्बन्ध में महानिदेशक महोदय को प्रार्थना पत्र

Basic Wale news

सेवा में‚

श्रीमान महानिदेशक‚

स्कूली शिक्षा (बेसिक विभाग)।

द्वाराः– जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी‚

लखीमपुर–खीरी।

विषयः– विद्यालय संचालन (निपुण भारत कार्यक्रम के क्रियान्वयन) एवं लगातार विभागीय निर्देशों के अनुपालन में आ रही व्यावहारिक समस्याओं के सम्बन्ध में।

महोदय‚

विनम्र अनुरोध के साथ अवगत कराना है कि बेसिक शिक्षा में गुणवत्ता के सुधार के लिये निपुण भारत का कार्यक्रम विद्यालयों में संचालित है जो समयबद्ध है परन्तु समय–समय पर विभाग द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुपालन में विभिन्न व्यावहारिक समस्यायें आ रही हैं। जिससे शिक्षक प्रताड़ित अनुभव कर रहा है।

टाइम एंड मोशन स्टडी के अनुसार शिक्षक की उपस्थिति विद्यालय में 8:45 से 3:30/ 7:45 से 2:30 तक होती है अतः वह विद्यालय छोड़कर कहीं नहीं जा सकता। इस नियम का पालन करने के लिए अभी प्रतिमाह तीसरे मंगलवार को संकुल की बैठक 3 PM से 5 PM तक आयोजित की गई क्योंकि टाइम एंड मोशन स्टडी का नियम प्रभावित हो रहा था । शिक्षक को बीएलओ बना दिया जाता है जिसके लिए बार-बार गांव, बीआरसी और तहसील जाना होता है, साथ ही विद्यालय समय में बोर्ड परीक्षा की ड्यूटी विभाग द्वारा लगाई जाती है तरह तरह के प्रशिक्षण बीआरसी अथवा डायट पर लगाए जाते हैं के समय में भी टाइम एंड मोशन स्टडी प्रभावित होती है।

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संगठन के पदाधिकारियों और जनपद के तमाम शिक्षकों ने अपनी समस्याओं से अवगत कराया है कि PFMS के लिए जो कंपोजिट ग्रांट व अन्य धनराशि आई है उसके लिए किसी भी प्रकार का व्यावहारिक प्रशिक्षण नहीं दिया गया और हर प्रधानाध्यापक के पास स्वयं का लैपटॉप/कंप्यूटर नहीं है और बहुत लोगों के पास एंड्रॉयड सेट तक नहीं है PFMS में बहुत तरह के कार्य सबसे पहले जो वस्तु क्रय करनी है उसके लिए कई दुकानदारो के पास जाना पड़ता हैं और एक एस्टीमेट/बिल बनवाना पड़ता, साथ ही जिस तिथि में दुकानदार को बैंक से धनराशि भेजी जाती है उसके 1 दिन पूर्व का बिल होना चाहिए । ऐसी स्थिति में कोई भी दुकानदार उधार सामग्री देकर 1 दिन पूर्व का बिल नही देता। इसके लिए शिक्षक को अपने व्यक्तिगत पैसे से सामान खरीदना पड़ता है बाद में दुकानदार को एकाउंट में पैसा भेजवाना पड़ता है फिर बाद में उस व्यक्ति से वापस जो अपने पैसे दिए होते हैं वह लेना पड़ता है ।

दुकानदार के पास स्टीमेट/बिल बनवाने जाना पड़ता है फिर उसके बाद आप बैठक व फिर एसएमसी अध्यक्ष के हस्ताक्षर से PPA जनरेट कराना होता है फिर वह PPA लेकर SMC अध्य्क्ष के हस्ताक्षर व प्रधानाध्यापक के हस्ताक्षर होकर बैंक में पीपीए जमा करना होता है। 4:00 बजे के बाद बैंक में ताला लगा दिया जाता है इस स्थिति में कोई शिक्षक यदि 3:30 पर अपने विद्यालय से निकलता है और उसका पीपीए बैंक में नहीं जमा हो पाता है क्योंकि बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखाएं लखीमपुर जनपद में बहुत कम है और भौगोलिक दृष्टि से जिला बहुत बड़ा है। शिक्षक 80-80 किलोमीटर दूर से पीपीए जमा करने बैंक आते हैं।

अब यदि किसी अभिभावक अथवा SMC बैठक के लिए एसएमसी अकाउंट में विभाग से ₹200 भेजा जाता है तो 80+80=160 किलोमीटर आने जाने में मोटरसाइकिल में लगभग 3 लीटर पेट्रोल खर्च होगा यानी कि ₹200 निकालने के लिए प्रधानाध्यापक को ₹300 के स्वयं का पेट्रोल खर्च करना पड़ेगा।

विद्यालय के भीतर के कार्य में जैसे मजदूर, मिस्त्री से वार्ता करने के लिए जाना, सीमेंट, मौरंग, गिट्टी, बालू, भट्ठे से ईंटा‚ लोहे का सामान बनवाने के लिए मिस्त्री के पास जाना, शौचालय निर्माण करा रहे हैं तो उसकी सामग्री खरीदने जाना, बिजली मिस्त्री से मिलने जाना विद्यालय में कोई मिस्त्री (राजगीर, लकड़ी, बिजली) आ जाता है और बीच में सामग्री कम पड़ जाती है तो उसके लिए बाजार से सामग्री ठेलिया / टेम्पो लाना पड़ता है।

सप्ताह में जिस दिन तहरी और सब्जी बनती है उस दिन प्रधानाध्यापक को सब्जी खरीदना पड़ता है और इतनी सुबह दुकानें नहीं खुलती, साथ ही सोमवार के दिन फल खरीदना होता है पहले प्रधानाध्यापक विद्यालय में छात्र संख्या गिने, फिर उसके बाद मार्केट से फल खरीद कर लाए जिसके लिए लगभग 8/10 किलोमीटर तो जाना ही पड़ता है।

NILP (New India Literacy Program) के तहत सर्वे करके निरक्षरों का आंकड़ा ऑन लाइन करने का निर्देश दिया गया है। इस हेतु शिक्षकों को भी गाँव में सर्वे करना होता है।

उपरोक्त के लिए शिक्षक को विद्यालय छोड़कर जाना पड़ता है और वह अपनी कहीं रवानगी (आवागमन) भी नहीं दिखा सकता। क्योंकि रवानगी करना मना हो गया है और विभाग द्वारा जारी 14 विद्यालयी अभिलेख रजिस्टर मे रवानगी रजिस्टर नहीं दिया गया है इस स्थिति में कई बार कई स्कूलों में प्रधानाध्यापक अथवा इंचार्ज प्रधानाध्यापक स्कूल बस अथवा वैन से जाते हैं और स्कूल जाने के बाद उनके पास कोई वाहन उपलब्ध नहीं होता है जिससे वह बाजार जा सके । इस स्थिति में वह विद्यालय में जिसके पास वाहन होता है उनको बार-बार निवेदन करके बाजार भेजता है उसी समय विद्यालय में खंड शिक्षा अधिकारी, जिला समन्वयक या अन्य अधिकारी विद्यालय निरीक्षण करने आ जाते है और उक्त बाजार जाने वाले शिक्षक को ऑनलाइन पोर्टल पर अनुपस्थित कर देते है, बाद में उक्त विद्यालय को कोई भी नोटिस नहीं जाती है सीधे उनका वेतन अवरुद्ध/काट लिया जाता है जहां एक और विभाग से यह कहा जाता है यदि आपने कम्पोजिट ग्रांट की धनराशि का सही समय पर उपभोग नहीं किया तब भी दण्ड का प्राविधान है। वहीं पर विभाग यह कह रहा है कि टाइम एंड मोशन स्टडी के नियमानुसार विद्यालय छोड़कर नहीं जा सकते हैं।

सादर अनुरोध है कि कृपया मार्गदर्शन करें और पी०एफ०एम०एस० कार्य के लिये 7 दिन और अतिरिक्त कक्षा कक्ष बनवाने के लिये 15 दिन का अवकाश प्रदान करने का कष्ट करें।

भवदीय

(सन्तोष मौर्य)

जिलाध्यक्ष व प्रदेश संयुक्त महामंत्री

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उ०प्र०

लखीमपुर–खीरी

मो० 9918881889