हरिद्वार: उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मातृभाषा को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकारी कामकाज के साथ ही न्यायपालिका में भी मातृभाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा, भारतीय चिंतन में शिक्षा और शिक्षण का विशेष महत्व था, लेकिन सदियों की गुलामी में इसे भुला दिया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि ‘आरोप लगाए जाते हैं कि शिक्षा का भगवाकरण हो गया है। भगवा में गलत क्या है।’
उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा सर्वे भवंतु सुखिन: और वसुधैव कुटुम्बकम की है। समय आ गया है कि इस पर विमर्श किया जाए। कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य ही है शिक्षा का भारतीयकरण। अच्छी और सच्ची शिक्षा के विस्तार से लोकतंत्र मजबूत होगा। उत्तराखंड में शनिवार को उप राष्ट्रपति ने हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई शांति और सुलह संस्थान (साउथ एशियन इंस्टीट्यूट आफ पीस एंड रिकंसीलिएशन) का उद्घाटन किया। इसके बाद शांतिकुंज की स्थापना के स्वर्ण जयंती वर्ष पर आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह केंद्र दक्षिण एशियाई देशों के बीच राजनैतिक चुनौतियों के मद्देजर क्षेत्रीय स्थिरता और सकारात्मक व्यवहार के लिए पहल करेगा।