बरेली। नामांकन बढ़ाने के लिए मिले लक्ष्य को लेकर शिक्षकों में असमंजस है। साथ ही वे परेशान भी हैं। स्कूलों में पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। कई स्कूलों में फर्नीचर के अभाव में बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ रहे हैं।
7 स्कूलों में जगह भी कम है। शिक्षकों का भी अभाव है। ऐसे में प्रति शिक्षक 50 नामांकन कराने न का लक्ष्य उचित नहीं है। हालांकि, वे अधिकारियों के समक्ष इस बात को रखने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं।
शिक्षकों ने बताया कि हाउस होल्ड सर्वे में भी यह निकलकर सामने आया है कि ज्यादातर बच्चे स्कूल जा रहे हैं। जो नहीं जा रहे हैं, उन्हें स्कूलों से जोड़ा भी गया है।
अधिकारियों ने किया खंडन
सीडीओ जगप्रवेश ने बताया कि शासन की ओर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। शिक्षकों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। जितने बच्चों का नामांकन है, उन्हें निपुण बनाने पर पूरा ध्यान दिया जाए। किसी भी स्कूल में उपस्थिति 70 फीसदी से कम नहीं होनी चाहिए। बीएसए संजय सिंह ने भी शिक्षकों को अनावश्यक बातों में पड़ने के बजाय स्कूल की स्थिति को बेहतर करने व बच्चों को निपुण बनाने की हिदायत दी है।
केस-1
भुता ब्लॉक के एक शिक्षक ने बताया कि उनके स्कूल में 350 बच्चे, सात शिक्षक हैं। ऐसे में लक्ष्य के मुताबिक और 350 बच्चों को स्कूल से जोड़ना मुश्किल है। इतने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे पाना भी चुनौतीपूर्ण है।
केस-2
फरीदपुर के शिक्षक नेता ने बताया कि पहले ही 10 फीसदी नामांकन बढ़ाने का लक्ष्य दिया था। जितना नामांकन हो सकता था, उतना किया जा चुका है। अगर अभियान के प्रचार-प्रसार में समय लगाया तो शिक्षण कार्य प्रभावित होगा।
केस-3
मझगवां के शिक्षक ने बताया कि आस- पास के स्कूलों के शिक्षक भी लक्ष्य की वजह से परेशान हैं। अफसरों से कहना आसान नहीं है, लेकिन स्कूल में ज्यादा बच्चों के बैठने के लिए जगह नहीं है। 30 सितंबर तक दाखिले होने हैं तो खुद भी छात्र संख्या बढ़ने वाली है।