प्रयागराज । मार्च 2018 में जब एलटी ग्रेड शिक्षक के 10768 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया तो अभ्यर्थियों के सामने राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में नौकरी के लिए इससे अच्छा अवसर नहीं था। लेकिन, विभिन्न विषयों का अलग- अलग समय में रिजल्ट जारी करने से ऐसी विसंगति पैदा हुई कि साथ परीक्षा देने वालों में कोई सीनियर तो कोई जूनियर हो गया।
यह विसंगति अब तक चली आ रही है। अब अवशेष श्रेष्ठता सूची से अभ्यर्थियों का चयन किया जा रहा है। इस सूची में चयनित जिन अभ्यर्थियों के साथी दो साल पहले नियुक्ति पा चुके हैं। वहीं, अवशेष श्रेष्ठता सूची के अभ्यर्थी अपने ही साथियों से दो साल जूनियर हो गए हैं। इसका असर उनके वेतन, प्रमोशन और पेंशन पर पड़ेगा।
एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा 29 जुलाई 2018 को प्रदेश के 39 जिलों में आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के तहत शिक्षकों के 10768 पदों पर भर्ती की जानी थी। 15 विषयों की परीक्षा में प्रदेश भर से तकरीबन चार लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। आयोग ने सभी विषयों की परीक्षा तो एक साथ करा दी, लेकिन रिजल्ट टुकड़ों में जारी किया। जिन विषयों में रिजल्ट पहले आया, उनमें चयनितों को नियुक्ति भी पहले मिल गई।
वहीं, जिनका रिजल्ट बाद में आया, उनकी नियुक्ति की संस्तुति बाद में भेजी गई। परीक्षा के बाद आयोग ने वर्ष 2019 में पहले चरण के तहत सात विषयों का परिणाम जारी किया। दूसरे चरण में छह विषयों का परिणाम दिया और तीसरे चरण में सबसे प्रमुख विषय हिंदी एवं सामाजिक विज्ञान का परिणाम जारी किया, जिनमें पदों और अभ्यर्थियों की संख्या सबसे अधिक थी।
अर्हता एवं अन्य विवादों के कारण हिंदी, सामाजिक विज्ञान, कला समेत कई विषयों में बड़ी संख्या में पद खाली रह गए, जिन्हें भरने के लिए अब अवशेष श्रेष्ठता सूची से अभ्यर्थियों का चयन किया जा रहा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि पांच साल बाद भी भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। परिणाम की विसंगति के कारण एक साथ परीक्षा देने के बावजूद किसी को पहले तो किसी को बाद में नियुक्ति मिली। यह सिलसिला अब तक जारी है। कई अभ्यर्थी एक साल तो कई दो से तीन साल तक जूनियर हो गए हैं।