आउटसोर्सिंग पर सरकारी विभागों में तैनाती पाने वालों के लिए अच्छी खबर है। अब उनकी सेवा-शर्तें बेहतर होंगी। सेवा प्रदाता बेवजह उनका उत्पीड़न नहीं कर पाएंगे। उनके पारिश्रमिक से अनावश्यक कटौती भी नहीं होगी और ईएसआई, ईपीएफ आदि की कटौती भी समय से हो सकेगी। इसके लिए प्रदेश सरकार नई आउटसोर्सिंग नीति लाने जा रही है। श्रम एवं सेवायोजन विभाग ने इसका मसौदा तैयार कर लिया है। कैबिनेट की हरी झंडी मिलने पर इसे लागू किया जा सकेगा।
नई नीति के तहत अब अभ्यर्थियों का चयन रैंडम नहीं हो सकेगा। समूह ‘ग’ व ‘घ’ के पदों पर चयन के लिए संबंधित विभाग शैक्षिक योग्यता तय करेगा। कर्मियों का चयन रिक्तियों को देखते हुए सेवायोजना पोर्टल पर आने वाले आवेदनों में से मेरिट के आधार पर किया जाएगा। इसके लिए साक्षात्कार की जरूरत नहीं होगी। बता दें कि वर्तमान में रिक्ति के सापेक्ष तीन गुना अभ्यर्थियों का चयन होता है, जिसमें से सेवा प्रदाता रैंडम किसी एक को चुन लेता है। इसी चयन प्रक्रिया को लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े होते हैं।
वहीं तकनीकी व अन्य पदों पर चयन शैक्षिक योग्यता, संबंधित विभाग द्वारा तय अनुभव और साक्षात्कार के भारांक के आधार पर होगा। यह साक्षात्कार अधिकतम 20 फीसदी अंकों का होगा। अनिवार्य शैक्षिक अर्हता वाले पदों पर न्यूनतम अनिवार्य अर्हता के जरिए मेरिट बनेगी। खास बात यह है कि सभी श्रेणियों की प्रतीक्षा सूची भी तैयार होगी, जिसमें 25 प्रतिशत तक अभ्यर्थी रहेंगे।
● समूह ग व घ के पदों पर बिना साक्षात्कार होगी भर्ती, समय पूरा मानदेय
● सेवाप्रदाता नहीं कर सकेंगे मनमानी, कर्मियों की सेवा शर्तें तय होंगी
15 तारीख तक करना होगा भुगतान
सेवा प्रदाता मानदेय को लेकर भी कर्मियों को परेशान नहीं कर सकेंगे। हर महीने की 15 तारीख तक हर हाल में डीबीटी के जरिए देय धनराशि कर्मचारी के खाते में भेजनी होगी। वहीं पिछले महीने के भुगतान का प्रमाणपत्र भी देना होगा। ईएसआई व ईपीएफ की कटौती भी समय से करनी होगी। गड़बड़ी रोकने को कई स्तर पर निगरानी की व्यवस्था होगी। आउटसोर्सिंग से भर्ती करने वाले विभागों और सेवा प्रदाताओं को ईपीएफ के पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। सेवायोजन निदेशालय के स्तर पर भी अधिकारियों का सेल गठित किया जाएगा।