इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पारित एक निर्णय में 30 नवंबर 2011 को जूनियर बेसिक स्कूलों में 75 हजार 825 प्रशिक्षु शिक्षक की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में उच्चतम न्यायालय की ओर से बनाई गई 12091 श्रेणी के बचे अभ्यर्थियों को बुलाकर फिर से काउंसलिंग कराने के एकल न्यायाधीश के आदेश को सही नहीं माना।
न्यायालय ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा बोर्ड की विशेष अपील को मंजूर कर एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि 13 वर्ष बाद इस प्रकार फाउंसलिंग कराने का आदेश नहीं दिया जा
सकता है, जबकि उच्चतम न्यायालय ने प्रशिक्षु शिक्षक की भर्ती प्रक्रिया को सही ठहराया है। दोनों विशेष अपीलों पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति एसक्यूएच रिजवी की खंडपीठ ने कई दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था।
मंगलवार को आए आदेश में सरकार की विशेष अपील मंजूर कर ली गई। यूपी सरकार की ओर से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय, बेसिक शिक्षा बोर्ड की ओर से कुष्मांडा शाही ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की थी।
कहा गया था कि उच्चतम न्यायालय ने 25 जुलाई 2017 व बाद में इस मामले में अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल अवमानना केस में 13 दिसंबर 2019 को सरकार द्वारा प्रशिक्षु शिक्षकों की सम्पन्न की गई भर्ती को सही मानते हुए अवमानना का वाद खत्म कर दिया था। ऐसे में 2011 की भर्ती को लेकर फिर से शेष बचे अभ्यर्थियों की काउंसलिंग
कराने का एकल जज की ओर से निर्देश दिया जाना गैर कानूनी है। वहीं, अभ्यर्थी विनय पांडेय व अन्य की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे एचएन सिंह आरके ओझा अनिल तिवारी का कहना था कि एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश में कोई त्रुटि नहीं है।
हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने बेसिक शिक्षा परिषद में 72825 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के मामले में निर्देश दिया था कि इसमें बचे 12091 पदों पर काउंसलिंग कराने के लिए विज्ञापन जारी किया जाए। उसका परिणाम फरवरी के अंतिम सप्ताह तक जारी कर दिया जाए। न्यायालय के इस आदेश से 12 वर्षों से चले आ रहे इस भर्ती विवाद का पटाक्षेप होने की उम्मीद थी।
अधिवक्ताओं का कहना था कि 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती में से न्यायालय के आदेश के परिणाम स्वरूप 66655 पदों पर चयन हो गया है और चयनित अभ्यर्थियों ने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया है।