प्रदेश के 1,32,842 परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं कंपोजिट विद्यालयों में 17,471 ऐसे हैं जहां छात्रसंख्या 50 से भी कम है। यही नहीं 56 विद्यालयों में छात्रसंख्या शून्य है। प्रदेश में जुलाई 2011 में अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) 2009 लागू होने के 13 साल बाद भी स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। शिक्षा मंत्रालय के अधीन स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में समग्र शिक्षा अभियान के लिए 2024-25 सत्र की वार्षिक कार्ययोजना और बजट के संबंध में आयोजित बैठक में यूपी के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को ओर से प्रस्तुत पिछले सत्र (2023-24) के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 5151 स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे हैं। सबसे अधिक चिंता की बात है कि 37.13 प्रतिशत स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात आरटीई के अनुरूप नहीं है।