यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट के फैसले के बाद से कई शिक्षकों का भविष्य अटक गया है. वहीं, दूसरी तरफ इस मामले को लेकर राजनीतिक उथल-पुथल भी जारी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया था. इसके बाद कई शिक्षक रोड पर उतर आए. लखनऊ में प्रदर्शन भी हुए. लाठीचार्ज भी हुई. इन सब के बीच अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.
69000 शिक्षक भर्ती से जुड़े मामले में अचयनित जनरल अभ्यर्थियों की तरफ से विनय पांडेय और शिवम पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद से ही माना जा रहा था कि अनारक्षित वर्ग के अभ्यार्थी सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. इसे देखते हुए ओबीसी अभ्यार्थियों ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट डाल दी थी.आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का पहले से ही शक हो रहा था कि अधिकारियों की हीलाहवाली से मामला लंबे समय के लिए फंस सकता है. इस मामले में दो याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गयी हैं.
अभ्यर्थियों का आंदोलन जारी
धरने पर बैठे अभ्यर्थियों का कहना है विभाग के अधिकारी जान-बूझकर इस मामले को टाल रहे हैं, जिससे मामला दोबारा फंसे और अधिकारियों को कुछ न करना पड़े. उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट का आदेश आए हुए एक सप्ताह से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अधिकारी इस मामले में लापरवाही कर रहे हैं. अभ्यर्थियों ने कहा किमांगें पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. हालांकि इस मामले में अब देखना ये होगा कि सुप्रीम कोर्ट में डाली गई याचिका पर क्या एक्शन लिया जाता है.
अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए- सीएम योगी
इस मामले में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने फैसला किया था कि वो इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करेगी. 19 अगस्त को सीएम योगी ने अपने आवास पर बेसिक शिक्षक विभाग के साथ एक बैठक आयोजित की थी. इस बैठक में बैठक में सीएम योगी ने कहा था कि कि हमारी सरकार का स्पष्ट मत है कि संविधान की ओर से दी गई आरक्षण की सुविधा का फायदा आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को मिलना ही चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए.