प्रदेश सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण अभ्यर्थियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था बनाई है। इसमें आयु सीमा छूट शामिल नहीं है। यही कारण है कि प्रतियोगियों ने आयुसीमा में छूट देने की मांग उठाई है। भर्ती परीक्षाओं में हरियाणा, राजस्थान व उत्तराखंड की तर्ज पर आयु सीमा में पांच साल की छूट मांगी जा रही है। इसको लेकर मई से नवंबर महीने तक प्रदेशव्यापी हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा।
हर जिला में कम से कम पांच हजार लोगों का हस्ताक्षर करवाने का लक्ष्य बनाया गया है। आरक्षण के मुद्दे पर आजाद पार्क में रविवार को प्रतियोगियों की आमसभा हुई। वक्ताओं ने तर्क देते हुए कहा कि आयुसीमा में छूट मिलने के बाद ही आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को मिलने वाला 10 प्रतिशत आरक्षण सार्थक होगा। आयुसीमा में छूट मिले बिना आरक्षण का कोई औचित्य नहीं है। आयुसीमा में छूट लेने की मुहिम को प्रभावी बनाने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। पांच हजार लोगों का हस्ताक्षर पूरा होने पर उसका ज्ञापन बनाकर हर जिला में जिलाधिकारी, स्थानीय सांसद व विधायकों को सौंपा जाएगा। फिर प्रदेशभर में हुए हस्ताक्षरों को एकत्र करके दिसंबर महीने में प्रतियोगी संयुक्त संघर्ष एकता समिति द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा जाएगा। प्रतियोगी जितेंद्र पाठक कहते हैं कि हर आरक्षण में आयुसीमा में छूट मिलती है, लेकिन सवर्ण उससे वंचित हैं। विवेक शर्मा का कहना है कि उत्तर प्रदेश में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण तो दिया गया है, लेकिन उसके अनुरूप सुविधाएं नहीं दी गई। आयुसीमा में छूट मिले बिना आरक्षण का कोई फायदा नहीं है।