ये हैं नियम
अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम-2009 (आरटीई) के तहत 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई है। इसके तहत सभी निजी विद्यालयों को अपनी धारण क्षमता का 25 प्रतिशत वंचित वर्ग के छात्रों से भरना होगा। इनकी फीस के रूप में सरकार हर महीने स्कूलों को तय धनराशि देती है। स्कूल छात्र संख्या कम दिखाकर मुफ्त प्रवेश लेने में आनाकानी करते हैं।
• बीएसए ने जारी की नोटिस, पंजीकरण के लिए तीन दिन की मोहलत
• इसके बाद स्कूलों की मान्यता वापस लेने की कार्रवाई की जाएगी
वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। जनपद के बड़े स्कूल समूह अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम-2009 (आरटीई) को नहीं मानते। आरटीई के जिला पोर्टल पर जनपद के 399 बड़े स्कूल कई नोटिस और चेतावनियों के बाद भी ‘एब्सेंट’ चल रहे हैं। शुक्रवार को बीएसए ने इन स्कूलों को अंतिम चेतावनी देते हुए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए तीन दिन की मोहलत दी है। उसके बाद स्कूलों की मान्यता वापस लेने की कार्रवाई की जाएगी।
जनपद में आरटीई पोर्टल पर लगभग 1200 निजी स्कूलों का पंजीकरण है। जबकि जिले में छोटे-बड़े निजी स्कूलों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। वर्षों से शिक्षा का अधिकार की अनदेखी कर रहे ऐसे 399 स्कूलों की सूची बीएसए कार्यालय ने तैयार की है। आरटीई की लॉटरी में न इन स्कूलों का विकल्प भरने की जगह है, न ही इनका नाम आता है। अधिनियम के तहत वंचित वर्ग के बच्चों का वे प्रवेश भी नहीं लेते। बीएसए राकेश सिंह ने बताया कि शुक्रवार को ऐसे 399 स्कूलों को अंतिम नोटिस जारी की गई है।
इससे पहले 24 दिसंबर 2020 और 26 अगस्त 2021 को इन बड़े स्कूल समूहों और निजी स्कूलों को आरटीई पोर्टल पर पंजीकरण कराने के निर्देश दिए गए थे। उन स्कूलों ने बिना पंजीकरण दो सत्र निकाल दिए ।