🛑 *कोर्ट फैसले की प्रति देखें❗*
🛑 _हाईकोर्ट ने वित्त पोषित स्कूल में हुई नियुक्ति के मामले में यूपी सरकार से मांगी जानकारी_
📌शिक्षकों के लिए कब से अनिवार्य हुई टीईटी? बताए उत्तर प्रदेश सरकार
पूर्व का आदेश जिसके खिलाफ राज्य सरकार कोर्ट गयी है👇
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा कब से अनिवार्य हुई। इसकी जानकारी सरकार मुहैया कराए। कोर्ट ने इस संबंध में याची और सरकारी अधिवक्ता से पूर्व में निर्धारित किए गए कानूनों का विवरण जानना चाहा है। कोर्ट ने यह आदेश यूपी सरकार की ओर से दाखिल विशेष याचिका यूपी सरकार बनाम मुसाहिल अली खान व अन्य पर सुनवाई करते हुए दिया है।
मामले में यूपी सरकार ने एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी थी। एकल पीठ ने प्रतिवादियों (शिक्षकों) की नियुक्ति को सही ठहराते हुए उन्हें वेतन दिए जाने का आदेश पारित किया था। यूपी सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने तर्क दिया कि मुराबाद के वित्त पोषित प्राथमिक विद्यालय में प्रतिवादियों/शिक्षकों की नियुक्ति संसद द्वारा पास किए गए बिल शिक्षा के अधिकार के तहत राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की ओर से 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना के बाद हुई है। प्रतिवादी शिक्षक अगस्त 2012 में निुयक्त किए गए। उस समय एनसीटीई की ओर से जारी अधिसूचना पूरे देश में लागू होने के साथ प्रदेश सरकारों पर बाध्य थी।
इसके अलावा सरकार ने शिक्षकों की टीईटी पास करने के लिए बार-बार समय भी दिया। अब ये प्रतिवादी/शिक्षक टीईटी पास है। लिहाजा, इन्हें शिक्षक मानते हुए वेतन दिया जाए। सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि यूपी सरकार ने उन शिक्षकों को टीईटी पास करने का समय दिया, जिनकी नियुक्ति एनसीटीई की जारी अधिसूचना से पहले की हुई है। एनसीटीई की अधिसूचना जारी होने केबाद नियुक्त होने वाले शिक्षकों को नहीं दी है। इस पर कोर्ट ने मामले को विचारिणीय मानते हुए यूपी सरकार से टीईटी की अनिवार्यता कब से की गई। इसकी जानकारी मुहैया कराने को कहा है।
लिहाजा, यूपी में भी उसी समय से जरूरी कर दिया गया। उस समय प्रतिवादी शिक्षक टीईटी पास नहीं थे। लिहाजा, ये बतौर शिक्षक नहीं नियुक्त किए जा सकते थे। इनकी नियुक्ति अवैध है। इसलिए बीएसए मुरादाबाद ने इनके आवेदन के अनुमोदन को मना कर दिया। एकल पीठ ने 20 जून 2022 को अपने आदेश में इन तथ्यों को ध्यान न देते हुए एकतरफा आदेश पारित कर दिया। जवाब में प्रतिवादियों/शिक्षकों के अधिवक्ता की ओर से तर्क दिया गया कि यूपी सरकार ने प्राथमिकी विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की अनिवार्यता के लिए आठ अप्रैल 2013 को शासनादेश जारी किया है। प्रतिवादियों की नियुक्ति उसके पहले ही हो चुकी थी।