टैटू बना मुसीबत: टैटू हटाने के बाद भी अभ्यर्थियों को क्यों नहीं दिया जा रहा मौका: कोर्ट

शिक्षा विभाग

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सशस्त्र बलों में हेड कांस्टेबल के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन करने वाले ऐसे अभ्यर्थियों को पुन: भर्ती प्रक्रिया में शामिल न किए जाने पर जवाब मांगा है, जिन्होंने अपने हाथ में बनवाए टैटू को हटवा लिए हैं। एसएसबी ने इन अभ्यर्थियों को टैटू बनवाने के कारण मेडिकल जांच में अयोग्य करार दिया था। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने अवनीश कुमार व दो अन्य की याचिका सुनवाई करते हुए दिया है।

याचीगण के अधिवक्ता का तर्क था कि याची ने हेड कांस्टेबल मिनिस्टीरियल के पद के लिए आवेदन किया था। मगर मेडिकल जांच में उनके हाथ पर टैटू होने के कारण उनको अयोग्य कर दिया। कहा गया कि भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में ऐसी कोई शर्त नहीं थी। जानकारी होने के बाद याचीगण ने अपने टैटू हटवा लिए हैं। एसएसबी को प्रत्यावेदन दिया था कि टैटू हटवाने के बाद उनका दोबारा मेडिकल कराया जाए, लेकिन एसएसबी ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। इस पर न्यायालय ने अपर सालिसिटर जनरल एसपी सिंह से कहा है कि वह अदालत में जवाब दाखिल करें कि टैटू हटवा लेने के बाद याचीगण को दोबारा मेडिकल परीक्षण कराने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है। याचिका पर सात मार्च को अगली सुनवाई होगी।