अलीगढ़ |
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत जिला स्तर पर दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। लेकिन इस बार वित्तविहीन विद्यालय संचालकों ने आरटीई के दाखिलों को न लेने का ऐलान कर दिया है। इसके पीछे पिछले दो साल से निर्धारित शुल्क प्रतिपूर्ति न मिलने का कारण बताया गया है।
जिले में 683 निजी स्कूल आरटीई के दाखिले लेने के लिए अधिकृत हैं। विद्यालयों की कुल सीटों के सापेक्ष 25 प्रतिशत कोटा आरटीई के दाखिलों के लिए तय हैं। जिले में 10 हजार के लगभग बच्चों का आरटीई के तहत दाखिला होता है। एक विद्यार्थी की एक वर्ष की फीस के तौर पर शासन द्वारा विद्यालय के खाते में 5400 रुपये भेजने का प्रावधान है। वित्तविहीन विद्यालय प्रबंधक महासभा के जिलाध्यक्ष अंतिम कुमार ने बताया कि शासन से जिले के विद्यालयों को सत्र 2019-20 और 2020-21 तक का पैसा नहीं मिला है। कई बार विद्यालय संचालक स्थानीय अधिकारियों से मिल चुके हैं। 10 करोड़ रुपये से अधिक की रकम शासन के पास अटकी हुई है। ऐसे में महासभा ने तय किया है कि लखनऊ की तर्ज पर अलीगढ़ के विद्यालय संचालक भी नये सत्र में आरटीई के दाखिले नहीं लेंगे।
सत्यापन के फेर में अटका पैसा : विद्यालय प्रबंधक महासभा के महामंत्री जितेंद्र कुमार ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग में जब भी इस संबंध में संपर्क किया जाता है तो वहां तैनात अधिकारी व बाबू विद्यालयों में आरटीई के तहत दाखिल हुए बच्चों का सत्यापन न होने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ देते हैं। जानकारी यह भी मिली है कि एक बार शासन ने फंड भी जारी कर दिया था। मगर, विभाग की लापरवाही के चलते वह वापस हो गया।
कोविड काल में दयनीय हुई निजी विद्यालयों की स्थिति
महासभा के पदाधिकारियों का कहना है कि कोविड काल ने निजी विद्यालयों के संचालकों की स्थिति खराब कर दी है। आलम यह है कि अभी तक शिक्षकों का भी वेतन नहीं दिया जा रहा है। अभिभावक फीस के पैसे नहीं दे रहे हैं। इधर, शासन आरटीई के दाखिलों की एवज में शुल्क प्रतिपूर्ति भी नहीं कर रहा है।
एक सप्ताह पहले आरटीई पटल का बाबू हुआ निलंबित
आरटीई के दाखिलों की एवज में शासन से मिलने वाली फीस को विद्यालय संचालक के खाते में भेजने के बदले रिश्वतबाजी का खेल करना एक बाबू को भारी पड़ गया। बाबू सुनील कुमार का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह साफ तौर पर लेनदेन की बात कर रहे थे। इसके आधार पर बीएसए ने उसे निलंबित कर दिया।
आक्रोश●
● 683 निजी स्कूल आरटीई के दाखिले लेने के लिए अधिकृत
● 25 प्रतिशत कोटा विद्यालय की कुल सीटों में से निर्धारित है आटीई के लिए
● 2019-20 और 2020-21 सत्र का नहीं मिला है पैसा
● 10 हजार के लगभग बच्चों का प्रतिवर्ष होता है आरटीई के तहत दाखिला
● 10 करोड़ रुपये से अधिक निजी विद्यालयों का शासन के पास अटका
● निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीट का कोटा आरटीई के लिए आरक्षित
आरटीई के दाखिलों की एवज में दी जाने वाली फीस का पैसा दो साल से अटका है। इसके संबंध में शासन से लगातार पत्राचार किया जा रहा है। जल्द से जल्द विद्यालय संचालकों को पैसा मिल जाएगा। वहीं, दाखिले से इनकार करने वाले विद्यालय संचालकों से भी वार्ता की जाएगी।
– सतेंद्र कुमार, बेसिक शिक्षा अधिकारी