वर्ष 2016 में फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र के आरोप में हुई थी बर्खास्तगीसुल्तानपुर परिषदीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक को फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र के आधार पर छह साल पहले बर्खास्त कर दिया गया था। बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेश पर जब शैक्षिक अभिलेखों की दोबारा जांच हुई तो सभी अभिलेख सही पाए गए। बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेश पर बीएसए ने बखरित प्रधानाध्यापक को उसी विद्यालय में कार्यभार ग्रहण करने का आदेश दिया है।
धनपतगंज क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय पूरे पांडेय में कार्यरत प्रधानाध्यापक वीरेंद्र पाल सिंह को 21 जनवरी 2016 को इस आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था कि गुरुकुल विश्वविद्यालय वृंदावन मथुरा में उनके शैक्षिक अभिलेख उपलब्ध नहीं है। कागजातों का सत्यापन डायट की ओर से कराया गया था। रिपोर्ट के आधार पर 21 जनवरी 2016 को प्रधानाध्यापक वीरेंद्र पाल सिंह को नियुक्ति तिथि से बर्खास्त कर दिया गया था। इससे क्षुब्ध होकर वीरेंद्र पाल ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। चीरेंद्र पाल ने बेसिक शिक्षा निर्देशक को पत्र लिखकर सत्यापन फिर से कराए जाने की मांग की थी। सत्यापन रिपोर्ट में वीरेंद्र पाल के अंकपत्र व प्रमाणपत्र सही पाए गए। बेसिक शिक्षा निदेशक के निर्देश पर बीएसए ने 21 जनवरी 2016 का बर्खास्तगी आदेश निरस्त करते हुए बीरेंद्र पाल सिंह को प्राथमिक विद्यालय पूरे पांडेय में कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति दी है। बीएसए दीवान सिंह यादव ने बताया कि बर्खास्तगी आदेश रद्द करते हुए कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश दिया गया है।
आखिर कैसे हुआ था फर्जी सत्यापन
चोरेंद्र पाल सिंह लगातार अपने कागजातों के सही के होने की दुहाई दे रहे थे। उन्होंने बीएसए के समझ भी अपने कागजातों के सही होने की बात कही थी। बावजूद इसके डायट की ओर से 13 जनवरी 2015 को कराए गए सत्यापन में पत्र व प्रमाणपत्र फर्जी होने की रिपोर्ट मिली थी। अब सवाल यह उठता है कि जब अंकपत्र प्रमाणपत्र सठी थे तो फर्जी होने की रिपोर्ट गलत किसने भेजी। इस मामले में शिक्षक ने डायट के एक लिपिक पर गंभीर आरोप लगाए हैं।