नामाकन कम होने से शिक्षकों पर गिरी गाज, – 29 अप्रैल तक लक्ष्य पूरा करने की चेतावनी

शिक्षा विभाग

झाँसी : बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के लिए नवीन छात्रों का प्रवेश जी का जंजाल साबित हो रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग के आदेशों से शिक्षकों की सेवा पर ‘तलवार’ लटक रही है। विद्यालय में कम नामाकन होने पर ़िजला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने लगभग 5 दर्जन शिक्षकों का वेतन अवरुद्ध करने का फरमान जारी कर दिया, जिससे शिक्षकों में रोष व्याप्त है।

3 अप्रैल से ़िजले में ‘स्कूल चलो अभियान’ का शुभारम्भ हो गया। गाँव के मजरे-मजरे में रैलियाँ निकालकर बच्चों का विद्यालय में नामाकन कराने का प्रचार किया जा रहा है, इसके बावजूद भीषण गर्मी और गेहूँ की कटाई के असर से विद्यालयों में नामाकन बढ़ाने की बात तो दूर, छात्रों की उपस्थिति में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। शिक्षक इस गर्मी में गाँव की पगडण्डियों में 6 वर्ष की आयु के बच्चों को खोजने में पसीना बहा रहे हैं। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में लगभग 1.80 करोड़ बच्चे अध्ययनरत हैं। स्कूल चलो अभियान के शुभारम्भ पर मुख्यमन्त्री ने यह संख्या 2 करोड़ तक पहुँचाने की इच्छा व्यक्त की, और इसके बाद से ही शासन एवं ़िजला प्रशासन के अधिकारी प्रतिदिन नवीन प्रवेश की समीक्षा कर रहे हैं। निदेशक बेसिक शिक्षा ने जनपदवार नवीन प्रवेश का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य के अनुसार जनपद को 29,768 नवीन प्रवेश का लक्ष्य दिया गया है। इसके सापेक्ष अब तक 24 ह़जार से अधिक नए बच्चों का नामाकन हो गया है। प्रत्येक विद्यालय को गत वर्ष के नामाकन में लगभग 15 प्रतिशत अधिक नामाकन बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए खण्ड शिक्षा अधिकारी, एआरपी एवं संकुल शिक्षकों को प्रतिदिन नवीन प्रवेश की जानकारी मुख्य विकास अधिकारी को भेजनी होती है। नामाकन में अपेक्षाकृत वृद्धि न होने से गत दिवस बीएसए ने वेतन अवरोध करने का चेतावनी पत्र जारी किया था, इसके बाबजूद नामाकन प्रक्रिया ने गति नहीं पकड़ी। बीएसए वेद राम ने बंगरा ब्लॉक के 10 प्रधानध्यापक, मऊरानीपुर ब्लॉक के 10, चिरगाँव 5, बड़ागाँव 5, बबीना 5, बामौर 10, गुरसराय 5 एवं मोंठ ब्लॉक के 9 प्रधानाध्यापकों एवं प्रभारी प्रधानाध्यापकों के विद्यालय में नामाकन की प्रगति न्यून पाए जाने पर लक्ष्य पूर्ति तक वेतन अवरुद्ध करने का आदेश जारी कर दिया। इससे शिक्षकों में रोष व्याप्त है। शिक्षकों का कहना है कि परिषदीय विद्यालयों में नवीन शैक्षिक-सत्र भले ही अप्रैल माह से प्रारम्भ होने लगा है पर ग्रामीणजन अपने बच्चे का नामाकन जुलाई-अगस्त माह में ही अधिक संख्या में कराते हैं। उल्लेखनीय है कि परिषदीय विद्यालयों में प्रवेश की अन्तिम तिथि 30 सितम्बर है। शिक्षकों का कहना है कि जब कई गाँवों में विद्यालय न जाने वाले बच्चे शेष ही नहीं है तो ऐसे में किस बच्चे का प्रवेश करें? कहाँ से लाएं बच्चे? नामाकन में कमी के लिए अकेले हेडमास्टर पर कार्यवाही उचित नहीं है। नामाकन के लिए इस तरह से दबाव बनाने से फर्जी नामाकन करने को मजबूर किया जा रहा है।