प्रयागराज प्रदेश के परिषदीय स्कूलों से सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षकों को दोबारा विद्यालयों में तैनात करने पर मंथन चल रहा है। वह पढ़ाई में पिछड़ने वाले विद्यार्थियों के बौद्धिक स्तर को सुधारने में सहयोग करेंगे। इनकी तैनाती उन विद्यालयों में भी होगी जो एकल हैं। हालांकि नियुक्तियों का प्रारूप क्या होगा अभी तय नहीं है। जल्द ही समूची कार्ययोजना तैयार कर विभाग को प्रेषित की जाएगी। स्टेट काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) ने शिक्षाविदों से आनलाइन विमर्श की प्रक्रिया शुरू की है। बेसिक शिक्षा के डायरेक्टर सर्वेन्द्र विक्रम सिंह के साथ प्रदेश के 45 शिक्षाविदों ने गूगल मीट के जरिए अपनी बात रखी। कहा कि पठन-पाठन के स्तर को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि शिक्षकों की संख्या बढ़ाई जाए। विभाग में तैनात शिक्षकों से सिर्फ अध्यापन का कार्य लिया जाए। प्रत्येक शिक्षक नियमित रूप से विद्यालय जाएं यह भी सुनिश्चित हो। नियमित रूप से कहीं और संबद्ध न हों : एससीईआरटी के साथ हुए विमर्श में प्रयागराज के तीन शिक्षक शामिल हुए। इनमें जसरा ब्लाक के डा. एसपी सिंह, मऊआइमा ब्लाक के ब्रजेंद्र सिंह व चाका ब्लाक के मनोज सिंह शामिल हैं। ब्रजेंद्र सिंह ने बताया कि विमर्श में यह भी कहा गया कि जिन सेवानिवृत्त शिक्षकों का सहयोग लिया जाएगा वह स्वैच्छिक होगा। इसके लिए शर्त होगी कि संबंधित व्यक्ति किसी अन्य संस्थान में नियमित रूप से जुड़कर सेवा न दे रहा हो। उसकी वजह से ग्राम सभा में कोई राजनीतिक अव्यवस्था न हो। जिम्मेदारी तय करने के बाद ही उन्हें विद्यालयों से जोड़ा जाए। सेवा के बदले सम्मान व उपहार की व्यवस्था भी सुनिश्चित हो। इससे बच्चों कीपढ़ाई के साथ-साथ शिक्षकों का भी सम्मान बढ़ेगा।
बेसिक शिक्षा के डायरेक्टर के साथ 45 शिक्षाविदों ने गूगल मीट पर रखे विचार पठन-पाठन के स्तर को बढ़ाने के लिए शिक्षकों की संख्या बढ़ाने पर दिया बल
लर्निंग गैप संबंधी पाठ्यक्रम तैयार करने का सुझाव आनलाइन हुए विमर्श में शिक्षकों ने कहा कि विद्यार्थियों के लर्निंग गैप को खत्म करने के लिए पाठ्यक्रम बनाने की जरूरत है। अध्यापन करने वाले शिक्षकों को भी प्रशिक्षित करने की बात कही गई। छात्रों के वर्तमान अधिगम स्तर का मूल्यांकन करके उनमें समान स्तर के छात्रों का वर्गीकरण करने का आग्रह किया गया। प्रत्येक वर्गीकृत समूह को लक्ष्य के अनुसार अध्यापन की आवश्यकता जताई गई। इसमें अभिभावकों का भी सहयोग अपेक्षित रहा जो बच्चों को नियमित विद्यालय भेजते रहें।