भेटुआ (अमेठी)। असमय में ही पिता के साए से वंचित हो गई होनहार बिटिया के आजीवन पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी लेकर शिक्षक ने समाज के सामने एक प्रतिमान स्थापित किया है। इससे जहां बिटिया को अपने सपनों को साकार करने के पंख मिले हैं। शिक्षक के द्वारा बेसहारा बेटी को उसकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए उठाए गए कदम की क्षेत्र के लोगों ने सराहना की है।
जन शिक्षा समिति काशी प्रदेश द्वारा संचालित सरस्वती शिक्षा मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ग्राम भारती परतीष के शिक्षक निखिलेंद्र सोमवंशी ने विद्यालय में कक्षा छह में प्रवेश के लिए आई छात्रा की प्रतिभा को देखकर व उसकी आर्थिक असहजता को भाप उसके आजीवन पढ़ाई का जिम्मा उठा लिया गत शुक्रवार को विद्यालय में कक्षा छह में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया गया था।
प्रवेश परीक्षा में धमौर के समीप नरही गांव को दर्शिका पुत्री स्वर्गीय रामकृपाल भी आई थी। देर शाम प्रवेश परीक्षा का परिणाम आने पर पता लगा कि दर्शिका
75 प्रतिशत अंकों संग अव्वल आई है। बेटी के पारिवारिक विवरण में ऑटो रिक्शा चालक चाचा ने जब बेटी के पारिवारिक दास्ता को बयां किया तो लोगों की आंखें भर आई। उन्होंने बताया कि पत्नी सुनीता व 11 वर्षीय बड़ी बेटी दर्शिका व पांच वर्षीय बेटे को छोड़ इनके भाई कोविंड के कारण बिगत दिनों काल के गाल में समा गए थे। तब से बच्चों की में पढ़ाई व देखरेख का जिम्मा ऑटो रिक्शा चलाकर यहाँ पूरा करते हैं। परिवार की असहजता व बेटी की काबिलियत देख मौके पर उपस्थित विद्यालय परिवार की आंखों में आंसू आ गए शिक्षक निखलेंद्र सोमवंशी ने बिटिया के आजीवन शिक्षा की जिम्मेदारी उठाने की बात विद्यालय परिवार से की।
इनके इस विचार का प्रधानाचार्य संतोष मिश्र, अंग्रेजी माध्यम से संचालित विद्यालय के प्रधानाचार्य गुलाब शंकर तिवारी, वरिष्ठ आचार्य राजेंद्र मिश्र, चंद्र देव शर्मा, आत्मानंद दुवे सहित समूचे विद्यालय परिवार ने भरपूर सराहना की। वहीं शनिवार को जब विद्यालय के आचार्य के इस कार्य के बारे में लोगों ने सुना तो क्षेत्रीय लोगों ने बालिका को आगे बढ़ाने व पढ़ाई का जिम्मा लेने लेने की प्रशंसा की।