विधानसभा में परिषदीय स्कूल के बच्चों के यूनिफार्म पर छिड़ गई बहस, आमने-सामने सुरेश खन्ना और अखिलेश यादव

शिक्षा विभाग

इस बात को लेकर बहस हुई कि परिषदीय स्कूलों के बच्चों की यूनिफार्म में नाप ज्यादा जरूरी है या कपड़े की गुणवत्ता। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि अभिभावकों की मांग थी कि यदि वे खुद यूनिफार्म खरीद सकेंगे तो नाप सही होगी। इस पर नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने पूछा कि सरकार वह दुकान बता दे जहां से 1100 रुपये में बच्चों के लिए यह सारा सामान मिल जाएगा।

विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सपा के विरेन्द्र कुमार यादव के सवाल पर बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने बताया कि परिषदीय स्कूलों के हर बच्चे को प्रत्येक शैक्षिक सत्र में दो जोड़ी यूनिफार्म, एक जोड़ी जूता व दो जोड़ी मोजे, एक स्वेटर और एक स्कूल बैग देने के लिए अभिभावक के खाते में 1100 रुपये दिए जाते हैं। सत्र 2021-22 में इसके लिए 1852.52 करोड़ रुपये की धनराशि जारी हुई थी जिसमें से 1695.05 करोड़ रुपये खातों में भेजे गए हैं।

संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि पहले जो सिली-सिलाई यूनिफार्म मिलती थी, उसमें बच्चों को उनकी नाप के कपड़े नहीं मिल पाते थे। अभिभावकों की मांग थी कि यदि वे खुद यूनिफार्म खरीद सकेंगे तो नाप सही होगी। इस पर नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव और सपा के लालजी वर्मा ने पूछा कि सरकार वह दुकान बता दे जहां से 1100 रुपये में बच्चों के लिए यह सारा सामान मिल जाएगा।
सुरेश खन्ना ने कहा कि मिल जाएगा बशर्ते यूनिफार्म के लिए 1000 रुपये प्रति मीटर वाला कपड़ा न लिया जाए। इस पर अखिलेश ने कहा कि कपड़े की गुणवत्ता से ही यूनिफार्म की कीमत बढ़ती है। डबल इंजन की सरकार को बच्चों को 1000 रुपये प्रति मीटर वाला कपड़ा देना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि गुणवत्ता पहले देखी जाए या नाप? जवाब में खन्ना ने कहा कि नाप पहले जरूरी है, गुणवत्ता बाद में।

महंगाई बढ़ी तो मिड-डे मील का लागत मूल्य क्यों नहीं : राष्ट्रीय लोक दल के प्रसन्न कुमार ने बेतहाशा बढ़ती महंगाई के सापेक्ष बच्चों को स्कूल में दिये जाने वाले मिड-डे मील के लागत मूल्य में पिछले दो वर्षों के दौरान वृद्धि न किये जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने सवाल किया कि महंगाई को देखते हुए कम लागत मूल्य में भोजन की पौष्टिकता कैसे सुनिश्चित की जा सकती है। इस पर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि समय-समय पर मिड-डे मील की परिवर्तन लागत में वृद्धि होती रही है। बच्चों को निर्धारित मेन्यू के तहत भोजन दिया जाता है जिसकी पौष्टिकता भी सुनिश्चित की जाती है। उनके जवाब से असंतुष्ट प्रसन्न कुमार ने कहा कि क्या जहर खिला देंगे बच्चों को?