लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान परिषद में शून्यकाल में सपा ने कार्य स्थगन नोटिस देकर सूवे में शिक्षामित्रों की दशा को लेकर चर्चा कराने की माग की। सरकार की तरफ से पक्ष रखते हुए नेता सदन स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि विपक्ष शिक्षामित्रों के लिए आंसू न बहाये। राज्य में तपस्वी सीएम हैं। शिक्षामित्रों के मानदेय को दस हजार किया गया है
और उनकी समस्याओं का समाधान भी योगी सरकार करेंगी। शिक्षामित्रों पर सरकार के जवाब से असंतुष्ट सपा सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। शून्य काल में सपा के आशुतोष सिन्हा ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने चुनाव के पहले शिक्षामित्रों को स्थायी करने के वादा किया, लेकिन ने वर्तमान की भाजपा सरकार प्रदेश के शिक्षामित्रों के साथ सीतेला व्यवहार कर रही है।
सपा की सरकार में शिक्षामित्रों को समायोजित करके उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में 28528 व शहरी क्षेत्रों में 29878 रुपये प्रतिमाह भुगतान किया गया, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया के आधार पर जब शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त कर दिया गया तो अब उन्हें कुशल श्रमिक से भी कम मानदेय मिल रहा है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि समान कार्य के लिए समान वेतन होना चाहिए। उन्होंने शिक्षामित्रों की मांगों को भी सदन में रखा
सपा की ओर से ही डा. मान सिंह यादव ने शिक्षामित्रों के खून से लिखे पत्र को भी दिखाया और कहा कि उनकी मौत होने पर सरकार को परिवार के किसी भी सदस्य को नौकरी देना होगा। नेता प्रतिपक्ष लाल विहारी यादव ने भी सरकार से इस मामले पर चर्चा कराने की माग की नेता सदन स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि पूर्व की सरकार में जितनी की नौकरी दी गयी सभी नियुक्तियां कोर्ट में फंस गयी। शिक्षामित्रों के समायोजन को रद होने के बाद प्रदेश सरकार ने उनके मानदेय को बढ़ाकर दस हजार रुपये प्रतिमाह किया। उन्होंने • आश्वासन दिया कि शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान भी योगी सरकार करेगी सरकार के जवाब से असंतुष्ट सपा सदस्यों ने सदन से वहिर्गमन किया और सभापति ने कार्य स्थगन नोटिस को अस्वीकार कर दिया।