शिक्षिका को गलत तरीके से निलंबित करने में बीएसए पर कार्रवाई का निर्देश

शिक्षा विभाग

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शिक्षिका को अनधिकृत रूप से निलंबित करने और उसे निलंबन काल का वेतन नहीं देने के मामले में फतेहपुर के तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी आरके पंडित के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की छूट शासन को दी है। न्यायालय ने 50 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने फतेहपुर जिले की अध्यापिका रचना सिंह की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने शिक्षिका को छह सप्ताह के भीतर उसकी निलंबन अवधि के वेतन व भत्ते का भुगतान सात प्रतिशत ब्याज की दर के साथ करने का निर्देश भी दिया है।

 स्पष्ट किया कि छह सप्ताह में भुगतान नहीं किए जाने पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करना होगा। याची की नियुक्ति प्राथमिक विद्यालय नराचा फतेहपुर में वित्त पोषित प्राथमिक विद्यालय में 2006 में हुई थी। याची का कहना था कि उसने छह अक्टूबर, 2007 से पांच मार्च, 2008 तक बिना वेतन अवकाश की मांग की थी। उसका यह अवकाश स्वीकृत कर दिया गया। अवकाश पर रहने के दौरान ही पांच मार्च, 2008 को बेसिक शिक्षा अधिकारी फतेहपुर ने याची को अनधिकृत रूप से सेवा से अनुपस्थित रहने के आरोप में निलंबित कर दिया। 

उसके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई। बाद में 20 जनवरी, 2010 को याची को तीन वर्ष तक अनधिकृत रूप से गैरहाजिर रहने के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। याची ने इस आदेश को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के समक्ष चुनौती दी। परिषद के सचिव ने निलंबन आदेश रद करते हुए याची को पुन: सेवा में बहाल करने का आदेश दिया, लेकिन सचिव ने याची को 10 मार्च, 2008 से 29 अक्टूबर, 2010 तक का वेतन ‘नो वर्क नो पे’ के सिद्धांत पर देने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने हर्जाने के तौ पर 50 हजार रुपये भुगतान का भी आदेश दिया है। सरकार को छूट भी दी है कि यदि शासन चाहे तो हुए नुकसान के लिए तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी आरके पंडित के खिलाफ विभागीय व अनुशासनात्मक कार्रवाई करे।