पइंसा। र्मासिराथू ब्लॉक के परिषदीय स्कूलों के कायाकल्प के नाम पर ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों ने जमकर खेल किया है। कागज में प्राथमिक, जूनियर के साथ कम्पोजिट स्कूलों का कायाकल्प करा दिया गया। इसका खुलासा बेसिक शिक्षा विभाग की सर्वे रिपोर्ट में हुआ तो महकमें में हडकंप मच गया। खंड शिक्षाधिकारी ने जांच रिपोर्ट बेसिक शिक्षाधिकारी के साथ बीडीओ को भेज दिया है।
सिराथू बीआरसी के अर्तगत कुल 192 परिषदीय स्कूल हैं। इनमें 119 प्राथमिक, 25 पूर्व माध्यमिक व 48 कम्पोजिट विद्यालय शामिल हैं। तीन साल पहले इन स्कूलों के कायाकल्प का मसौदा तैयार कराकर बेसिक शिक्षा विभाग ने ग्राम पंचायतों को दिया था ताकि स्कूल मूलभूत सुविधाओं से लैश हो सकें। स्कूलों में पेयजल, शौचालय, रसोई घर, दिव्यांग शौचालय, विद्युतीकरण, एमडीएम शेड, रैंप, चहरदीवारी समेत तमाम कार्य कराए जाने थे। पंचायतों ने कागज में सभी स्कूलों का कायाकल्प कराते हुए सरकारी धन का बंदरबांट कर लिया। साल भर पहले विभाग ने सर्वे कराया तो भी कायाकल्प नहीं हुआ था। इसके बाद विभाग ने दोबारा स्कूलों में कराए गए कायाकल्प का सर्वे माह भर पहले कराया तो भी समस्या का अंबार मिला। टीम के सर्वे के बाद खंड शिक्षाधिकारी जवाहर लाल ने संबधित बीडीओ के साथ बीएसए को जांच रिपोर्ट भेजी तो महकमें हडकंप मच गया। यदि अफसर एक्शन मूड में आए तो कई तत्कालीन पंचायत सेक्रेटरी व ग्राम प्रधान पर कार्रवाई की तलवार लटक सकती है।
परिषदीय स्कूलों से गायब है खेल किट
प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक स्कूल के साथ कम्पोजिट स्कूलों में सालाना 15 हजार रुपये खेल किट खरीदने के नाम पर सरकार द्वारा भेजा जाता है। रकम खाते से निकल गई पर अधिकांश स्कूलों से खेल का सामान गायब है। बताया जा रहा है कि प्राथमिक के लिए पांच, पूर्व माध्यमिक व कम्पोजिट स्कूल के लिए सालाना दस हजार की रकम अवमुक्त होती है।
12 स्कूलों में नहीं है पेयजल की व्यवस्था
सिराथू ब्लॉक के एक दर्जन प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक स्कूलों में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है। दोपहर मध्याह्न भोजन के बाद बच्चे जूठे हाथ घर तक दौड़ लगाने को मजबूर हैं। ग्राम प्रधान फरमान जारी होने के बाद भी स्कूलों में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं कर रहे हैं। जिसे लेकर बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर सख्त हो गए हैं।
41 स्कूलों में दिव्यांगों के लिए नहीं है शौचालय
सिराथू बीआरसी के 41 प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक स्कूल ऐसे हैं जहां पर दिव्यांग बच्चों के लिए शौचालय का निर्माण आज तक नहीं कराया जा सका है। ऐसे में दिव्यांग बच्चों को शौच के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसका खुलासा विभाग के सर्वे में हुआ है। बताया जा रहा है कि इसकी जिम्मेदारी स्कूल के प्रधानाध्यपक को दी गई थी। इसके बाद भी शौचालय का निर्माण नहीं कराया जा सका है।
आधे-अधूरे पड़े हैं एमडीएम व किचनशेड
सिराथू ब्लॉक के घटमापुर, फाजिलपुर गोपालपुर, रामपुर धमावां सहित करीब एक दर्जन से अधिक स्कूलों के एमडीएम शेड आधे अधूरे पड़े हुए हैं। इसके अलावा उदिहिन बुर्जुग, गंभीरा पूरब, इचौली, बालकमऊ आदि स्कूलों के किचन शेड जर्जर पड़े हैं। इस पर अफसरों की नजर नहीं जा रही है। ऐसे में रसोइयां जान जोखिम में डालकर भोजन पकाने को मजबूर हैं।