जनपद में 9107 शिक्षकों की कमी से शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल

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सीतापुर। प्राइमरी शिक्षा को पटरी पर लाने की पुरजोर कोशिश हो रही है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कमी रोड़ा बनी हुई है। निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार जिले में मानक के अनुसार शिक्षक नहीं है। प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या के अनुसार करीब 9107 शिक्षकों की कमी है। इससे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक दोनों विद्यालयों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।

निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार प्राथमिक विद्यालय में 30 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक तय किया गया है। इसी तरह उच्च प्राथमिक विद्यालय में 35 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए। अगर इस मानक के अनुसार शिक्षकों की विद्यालय में पोस्टिंग देखी जाए तो काफी कम है। 30 अप्रैल 2022 की छात्र संख्या के अनुसार कक्षा एक से पांच तक के प्राथमिक विद्यालयों में चार लाख 10 हजार 839 नौनिहाल अध्ययनरत है। इनके लिए 797 प्रधानाध्यापक व 12867 शिक्षकों की जरूरत है।
इस समय 496 प्रधानाध्यापक कार्यरत है। 5753 शिक्षक पढ़ाई करा रहे है। इस तरह 298 प्रधानाध्यापक व 7114 सहायक अध्यापकों की कमी है। कक्षा छह से आठ तक के उच्च प्राथमिक विद्यालयों की बात की जाए तो एक लाख 53 हजार 765 नौनिहाल अध्ययनरत है। इनके लिए 800 प्रधानाध्यापक व 4767 सहायक अध्यापकों की जरूरत है। इस समय 184 प्रधानाध्यापक कार्यरत है। 2774 सहायक अध्यापक नौनिहालों का भविष्य संवार रहे है।इस तरह 653 प्रधानाध्यापकों की कमी बनी हुई है। 1993 शिक्षकों की अतिरिक्त रूप से जरूरत पड़ रही है। मानक के अनुसार विद्यालयों में शिक्षक न होने से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। बेसिक शिक्षा विभाग मौजूद शिक्षकों से ही काम चला रहा है। इससे विद्यालय तो खुल रहे है, लेकिन जरूरत के मुताबिक शिक्षक न होने से उनको गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं मिल पा रही है।नगर क्षेत्र में शिक्षकों की बड़ी कमीबेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की पोस्टिंग ग्रामीण व नगर क्षेत्र में अलग-अलग तरीके से की जाती है। सीतापुर में 19 विकासखंड व चार नगर क्षेत्र (सीतापुर, बिसवां, मिश्रिख व खैराबाद) शामिल है। प्राथमिक विद्यालयों की बात की जाए तो नगर क्षेत्र में प्रधानाध्यापक के आठ व सहायक अध्यापक के 194 सहायक अध्यापकों की जरूरत है। जिसमें इस समय 18 प्रधानाध्यापक व 21 सहायक अध्यापक ही कार्यरत है। इस तरह 10 प्रधानाध्यापक व 173 सहायक अध्यापकों की कमी बनी हुई है।
उच्च प्राथमिक विद्यालयों की बात की जाए तो प्रधानाध्यापक के छह व सहायक अध्यापक के 37 पदों की जरूरत है। मौजूदा समय में यहां पर एक भी प्रधानाध्यापक नहीं है। महज आठ सहायक अध्यापकों के सहारे ही काम चलाया जा रहा है। इस तरह छह प्रधानाध्यापक व 29 सहायक अध्यापकों की कमी बनी हुई है।एक शिक्षक के पास कई विद्यालयों की जिम्मेदारीग्रामीण से लेकर नगर क्षेत्र में प्रधानाध्यापक पद पर कई वर्षों से पदोन्नति नहीं हुई है। इसकी वजह से अधिकांश विद्यालयों में इंचार्ज के सहारे ही काम चलाया जा रहा है। नगर क्षेत्र में तो एक शिक्षक के पास दो से तीन विद्यालयों का प्रभार है। विभाग की मजबूरी है कि वह ग्रामीण इलाके के शिक्षकों को नगर क्षेत्र में तैनाती नहीं दे सकते है। इससे दिन प्रतिदिन नगर क्षेत्र की स्थिति खराब ही होती जा रही है।शिक्षकों की कमी बनी हुई है। इसकी सूचना शासन को भेजी गई है। मौजूदा शिक्षकों से बेहतर तरीके से पढ़ाई करवाने का प्रयास किया जा रहा है।
अजीत कुमार, बीएसए