बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक स्कूलों में नियमित प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति पर चार साल में निर्णय नहीं हो सका। राज्य सरकार शिक्षा मंत्रालय की प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) की बैठक में नियुक्ति का प्रस्ताव रखती है पर अमल नहीं हो पा रहा।
बेसिक शिक्षा परिषद के 30 हजार से अधिक स्कूलों में नियमित प्रधानाध्यापक नहीं हैं। अफसरों ने वरिष्ठतम शिक्षकों को प्रभार सौंपा है। आरटीई मानकों के अनुसार स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं। प्रमोशन न होने से शिक्षकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। वहीं शिक्षकों की नई भर्ती में भी अड़चन आ रही है।
कब क्या कहा : 2018-19 की पीएबी बैठक में राज्य सरकार ने कहा था कि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रबंधन सुधारने को आरटीई के अनुसार प्रधानाध्यापकों की तैनाती की जाएगी। सीधी नियुक्ति पर विचार किया जा सकता है।
2019-20 सत्र की पीएबी बैठक में प्रधानाध्यापकों के 50 पदों पर सीधी नियुक्ति पर विचार की बात कही।
2020-21 में यह बात कही गई कि अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के अनुसार परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों की सीधी भर्ती का प्रावधान है। प्रधानाध्यापकों के पद प्रमोशन से भरे जाते हैं। हालांकि 50 प्रतिशत पदों पर सीधी नियुक्ति पर विचार किया जा सकता है।
2021-22 की बैठक में फिर प्रधानाध्यापकों के 50 प्रतिशत पदों पर सीधी नियुक्ति के लिए वर्तमान नियमों में संशोधन पर चर्चा हुई। इस पर शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया कि प्रथम चरण में उच्च प्राथमिक स्कूलों के 40 प्रतिशत पद भरने के लिए विभागीय परीक्षा का प्रस्ताव रखा है। 2022-23 की पीएबी बैठक में प्रधानाध्यापकों के 50 प्रतिशत पदों पर सीधी भर्ती के लिए वर्तमान नियमों में संशोधन पर विचार की बात उठी। इस पर अफसरों ने एक कमेटी गठित होने की बात बताई है।