राष्ट्रीय शिक्षा नीति दुविधा व संदेह से देश को निकालेगी : धर्मेंद्र प्रधान

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केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) एक दर्शनिक दस्तावेज है। इस दस्तावेज में उल्लिखित मसौदे पर अमल देश को संदेह और दुविधा से बाहर निकालेगा।

वह गुरुवार को यहां रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित अखिल भारतीय शिक्षा समागम के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। पीएम नरेंद्र मोदी और अन्य विशिष्टजनों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान की शाश्वत नगरी काशी में शिक्षा का यह समागम अपने आप में विशेष हो जाता है। काशी ज्ञान का सबसे पुराना केंद्र है। इस दृष्टि से शिक्षा नीति पर मंथन के लिए इस शहर से बेहतर दूसरा स्थान नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि एनईपी के क्रियान्वयन के लिए इस समागम पर बहुत कुछ निर्भर करता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य यह है कि समय की जरूरत के अनुसार छात्र-छात्राओं को ज्ञान और कौशल से युक्त किया जाए। वर्तमान में 15 से 25 वर्ष के आयुवर्ग की सबसे बड़ी आबादी भारत के पास है। इस आबादी को भविष्य की जरूरतों के अनुरूप तैयार करने के लिए जरूरी है कि हम परंपराओं के साथ ही प्रगतिशील विचारों को भी प्रधानता दें।