मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को भ्रष्टाचार के जुड़े दो मामलों में बड़ी कार्रवाई कर दी। उन्होंने होम्योपैथिक कालेज के छात्रों को छात्रवृत्ति देने के मामले में दो रजिस्ट्रार को निलंबित कर दिया। वहीं लखनऊ के सेंटीनियल हायर सेकेंड्री स्कूल परिसर में मैथोडिस्ट चर्च स्कूल को गलत ढंग से मान्यता देने पर लखनऊ के बीएसए विजय प्रताप सिंह और तत्कालीन मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक पीएन सिंह और डिप्टी रजिस्ट्रार विनय कुमार श्रीवास्तव निलंबित किए गए हैं।
47.64 करोड़ का फर्जीवाड़ा: होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के तहत निजी संस्थानों में छात्रवृत्ति के 47.64 करोड़ का फर्जीवाड़ा सामने आया है। समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक आरके सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी ने घोटाले की पुष्टि की थी। इस मामले में मुख्यमंत्री ने निदेशालय के अपर निदेशक शिक्षा व होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के तत्कालीन कार्यवाहक रजिस्ट्रार प्रो. मनोज यादव,बोर्ड के वरिष्ठ लिपिक और बोर्ड के तत्कालीन कार्यवाहक रजिस्ट्रार विनोद कुमार यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। संविदा लिपिक दिनेश चंद्र दुबे और सुषमा मिश्रा की संविदा डीएससी का दुरुपयोग करने के मामले में उनकी संविदा समाप्त कर दी गई है। सुनीता मलिक के नाम पर फर्जीवाड़े पर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश हुए हैं। मुख्यमंत्री ने घोटाले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दी है।
सेंटीनियल मामले में कार्रवाई:वहीं लखनऊ के सेंटीनियल हायर सेकेंड्री स्कूल के विवाद में मुख्यमंत्री के निर्देश पर लखनऊ के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह, डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म सोसाइटीज एंड चिट्स लखनऊ मंडल विनय कुमार श्रीवास्तव और लखनऊ मंडल के तत्कालीन मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक पीएन सिंह को निलंबित कर दिया गया। पीएन सिंह वर्तमान में प्रयागराज के जिला विद्यालय निरीक्षक पद पर थे। एक लिपिक को भी निलंबित किया गया है। यह कार्रवाई स्कूल परिसर में गलत ढंग से मैथोडिस्ट चर्च स्कूल को मान्यता देने में की गई है। बेसिक शिक्षा के अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनिक जांच मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक लखनऊ मंडल करेंगे। लखनऊ के बेसिक शिक्षा अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार एडी बेसिक लखनऊ मंडल को दिया गया है।
दोषियों से होगी रिकवरी
छात्रवृत्ति घोटाले के चलते हुई वित्तीय अनियमितता और आर्थिक क्षति की रिकवरी समाज कल्याण विभाग करेगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इस गड़बड़ी के लिए दोषी शिक्षा विभाग और समाज कल्याण विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ संबंधित विभाग द्वारा कार्यवाही की जाएगी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड एवं उत्तर प्रदेश आयुर्वेदिक व यूनानी तिब्बती चिकित्सा पद्वति बोर्ड फिलहाल किसी नये कॉलेज को मान्यता या संबद्धता नहीं दे सकेंगे।