प्रयागराज,। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक भर्ती 2018 में चयनित कार्यरत सहायक अध्यापकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा है कि संबंधित बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यरत चयनित अध्यापकों को चयन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए अनापत्ति प्रदान करे और मेरिट के आधार पर काउंसिलिंग में शामिल होने देने व मन चाहे जिले में नियुक्ति की अनुमति दी जाय। यह कार्यवाही चार हफ्ते में पूरी की जाय। इस आदेश का लाभ उन्हें भी मिलेगा जो कोर्ट नहीं आ सके जो शासनादेश से प्रभावित हैं।
हाई कोर्ट ने 4 दिसंबर 2020के शासनादेश के पैरा 5(1) को मनमाना पूर्ण, विभेदकारी, अतार्किक करार देते हुए रद कर दिया है। इस शासनादेश में चयन में शामिल होने के अनापत्ति पर रोक लगाई गई थी और कहा है कि इस शासनादेश से प्रभावित सभी अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया में 1981 की सेवा नियमावली के तहत शामिल होकर पसंद के जिले में नियुक्ति पाने का अधिकार है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने रोहित कुमार व 56 अन्य, अतुल मिश्र व 61 अन्य, राघवेन्द्र प्रताप सिंह व 14 अन्य, दीपक वर्मा तथा 77 अन्य, रूबी निगम व 25 अन्य व दर्जनों याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है।
याचियों का कहना था कि वे विभिन्न जिलों में सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत है। उनका चयन 2018 की भर्ती में भी हुआ है। उन्हें काउंसिलिंग में शामिल होने के लिए बीएसए द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं दिया जा रहा है। वे मेरिट के आधार पर पसंद के जिले में नियुक्ति पाना चाहते हैं।
सरकार और बोर्ड का कहना था कि शासनादेश में अध्यापकों को फिर से उसी पद पर चयनित करने से काफी पद खाली हो जायेंगे। यदि पसंद का जिले में नियुक्ति पानी है तो अंतर्जनपदीय तबादला नीति के तहत आवेदन दे सकते हैं।
याचियों का कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 के तहत उन्हें भर्ती में शामिल होने और मेरिट पर नियुक्ति पाने का अधिकार है। अनापत्ति पर रोक संविधान के मूल अधिकारों के खिलाफ है। कोर्ट ने अनापत्ति पर रोक को विभेदकारी व मनमाना पूर्ण तथा कानून व सेवा नियमावली के अधिकार क्षेत्र से बाहर माना और रद्द कर दिया है।अब सभी चयनित अध्यापकों के मेरिट के आधार पर नियुक्ति पाने का रास्ता साफ हो गया है।