31 साल बाद वेतन की लड़ाई जीत ली। हालांकि तीन दशक से अधिक समय तक चली लड़ाई के दौरान चारों शिक्षक सेवानिवृत्त हो गए। इस मामले में हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर पांच लाख रुपये का हर्जाना लगाते हुए उक्त राशि पीड़ित चारों शिक्षकों में बांटने के आदेश दिए हैं।
डीएवी इंटर कॉलेज आर्यपुर खेड़ा मैनपुरी में उमाशंकर मिश्र, वेद प्रकाश, मुन्नालाल तिवारी और सूर्यकान्त मिश्र की नियुक्ति सहायक अध्यापक पद पर 20 अक्टूबर 1991 को हुई थी। चारों शिक्षकों ने एक नवंबर 1991 को कार्यभार ग्रहण किया और उनके वेतन भुगतान के लिए पत्रावली जिला विद्यालय निरीक्षक को भेजी गई।
डीआईओएस ने 13 अप्रैल 1992 को यह कहते हुए वित्तीय अनुमति देने से इनकार कर दिया कि शासन ने नियुक्ति पर रोक लगा रखी है। इसके बाद कानूनी लड़ाई शुरू हुई। पीड़ित शिक्षकों ने नियमितिकरण और वेतन भुगतान के लिए 1992 से लेकर 2015 तक पांच बार हाईकोर्ट में याचिकाएं की और आखिरकार मंडलीय समिति ने 30 दिसंबर 2015 को चारों शिक्षकों की सेवाएं नियमित मान ली। लेकिन अफसरों ने 23 अगस्त 2018 के आदेश से बकाया भुगतान करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद पीड़ित शिक्षक फिर कोर्ट की शरण में पहुंच गए। कोर्ट के आदेश के बावजूद अफसरों ने 28 अक्टूबर 2021 को फिर से बकाया भुगतान से इनकार कर दिया। इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एक अगस्त 2022 को चारों शिक्षकों का वेतन और भुगतान का आदेश दिया है। यही नहीं कोर्ट को गुमराह करने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों पर पांच लाख रुपये हर्जाना लगाया है।
शिक्षकों को 35 से 50 लाख तक मिलेगा
कोर्ट के आदेश के बाद पीड़ित शिक्षकों को 35 से 50 लाख रुपये तक का भुगतान होगा। उमाशंकर मिश्र, वेद प्रकाश, मुन्नालाल तिवारी और सूर्यकान्त मिश्र का विभाग पर क्रमश: 35.78 लाख, 50.58 लाख, 44.22-44.22 लाख रुपये का बकाया है। चारों शिक्षक 2013 से 2016 के बीच सेवानिवृत्त हो चुके हैं।