सभी छात्रों के पास हों सपने: प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों से मुलाकात की, पांच प्रण पर स्कूलों में चर्चा की बात कही

Basic Wale news

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूरे देश में ऐसा कोई छात्र नहीं होना चाहिए जिसके पास 2047 का सपना न हो। लालकिले की प्राचीर से ‘पंच प्रण’ की घोषणा को याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि इन पर स्कूलों में नियमित रूप से चर्चा होनी चाहिए ताकि छात्रों के लिए उनकी भावना स्पष्ट हो।

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों के साथ मुलाकात में मोदी ने कहा कि एक शिक्षक की भूमिका ही एक व्यक्ति को रोशनी दिखाने की होती है, वो सपने बोता है। हमें न केवल छात्रों को शिक्षित करना है बल्कि उनके जीवन को बदलना है।

लालकिले से प्रधानमंत्री ने पांच प्रण का आह्वान किया था। इनमें 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने, अपनी विरासत पर गर्व करने, गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने, एकता पर जोर और नागरिकों के कर्तव्य पालन की बात कही थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन प्रस्तावों को राष्ट्र की प्रगति के लिए एक मार्ग के रूप में सराहा जा रहा है और हमें इसे बच्चों और छात्रों तक पहुंचाने का एक तरीका खोजने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दांडी यात्रा और भारत छोड़ो के बीच के वर्षों के दौरान देश में व्याप्त भावना को फिर से बनाने की जरूरत है।

मोदी ने कहा कि युवा दिमाग को आकार देने के लिए हम शिक्षकों के आभारी हैं। हमारे शिक्षकों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने में बड़ी भूमिका निभाई है। ये हमारा सौभाग्य है कि हमारे वर्तमान राष्ट्रपति भी शिक्षक हैं। उनका जीवन का प्रारंभिक काल शिक्षक के रूप में बीता है। मोदी ने कहा कि देश आज नए सपने, नए संकल्प लेकर एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है कि आज जो पीढ़ी है, जो विद्यार्थी अवस्था में हैं, 2047 में हिंदुस्तान कैसा बनेगा ये उन्हीं पर निर्भर होने वाला है। उनका जीवन आप शिक्षकों के हाथ में है। 2047 में देश गढ़ने का काम आज जो वर्तमान में शिक्षक हैं, आने वाले 10-20 साल तक जो सेवाएं देने वाले हैं, उनके हाथ में है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने में हमारे शिक्षकों की बहुत बड़ी भूमिका रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं है कि शिक्षक का काम सिर्फ क्लास लेना या स्कूल की नौकरी करना ही हो। उनका काम मार्गदर्शन करना भी है।

250 वर्ष राज करने वाले पीछे रह गए

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान अर्थव्यवस्था की भी बात की। पीएम ने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों से संवाद के दौरान कहा कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत ब्रिटेन से आगे निकल गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस स्थान को हासिल करना विशेष है क्योंकि हमने उन लोगों को पीछे छोड़ दिया है जिन्होंने 250 वर्षों तक हम पर शासन किया।