वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने का अभियान जोरों पर है। अब तक 45 करोड़ के करीब वोटर कार्ड ‘आधार’ से जोड़े जा चुके हैं। मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने का काम डबल वोटरों को सूची से हटाना है। अनुमान है कि इससे फर्जी मतदाता घटेंगे और आगामी चुनावों में मतदान प्रतिशत बढ़ेगा। पहली अगस्त से चल रही लिंकिंग प्रक्रिया की अंतिम तिथि एक अप्रैल 2023 है।
सूत्रों के अनुसार बिहार, यूपी, झारखंड, उत्तराखंड और बंगाल में सबसे ज्यादा डबल वोटर मिलने की संभावना जताई जा रही है। इसकी वजह इन राज्यों से प्रवासियों अन्य राज्यों में जाना है।
अन्य राज्यों में जाने के बावजूद ये लोग अपने घर से जुड़े रहते हैं। इससे ये लोग अपने राज्य में और दूसरे राज्य में जहां रहते हैं वहां के भी वोटर बन जाते हैं। दिल्ली-एनसीआर इसका एक उदाहरण है। एक बार सभी मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में जुड़ने के बाद चुनाव आयोग अंतरराज्यीय स्तर पर मिलान कर अंतिम सूची बनाएगा। सूत्रों के अनुसार, 2024 का लोकसभा चुनाव इसी अद्यतन सूची के आधार पर होगा। देश में 90 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं। इनमें से 18 -19 वर्ष के मतदाताओं की संख्या डेढ़ करोड़ के आसपास है।
लिंकिंग स्वैच्छिक
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वोटर कार्ड को आधार से लिंक कराना स्वैछिक है, पर कर्मचारी आवश्यक बता रहे हैं। जानकारों ने कहा, जब आधार ही डुप्लीकेट हैं तो लिंकिंग का उद्देश्य कैसे पूरो होगा। पिछले दिनों पांच लाख आधार रद्द किए गए।
मतदाता सूची के आधार से लिंकिंग एक त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया है। अगर तेलंगाना और आंध्र का उदाहरण देखें तो 2015 में आधार लिंकिंग के कारण 25 लाख वोटरों के नाम सूची से काट दिए गए थे।
-प्रो.जगदीप छोकर,संस्थापक एडीआर