इन विद्यार्थियों को मिलेगा DBT का आधा पैसा ही, जानिए क्यों?

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शासन की ओर से सहायता प्राप्त विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा छह से आठ तक के छात्र-छात्राओं को डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) योजना के तहत अब यूनिफॉर्म खरीद के लिए मात्र छह सौ रुपये ही प्रदान किए जाएंगे। जबकि परिषदीय विद्यालयों में यूनिफॉर्म व स्टेशनरी खरीद के लिए 12 सौ रुपये की राशि अभिभावकों के खाते में प्रदान की जा रही है।

शासन की ओर से परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को दो जोड़ी यूनीफॉर्म, स्वेटर, जूता-मोजा व स्कूल बैग की खरीद के लिए 11 सौ व स्टेशनरी खरीद के लिए 100 रुपये समेत कुल 1200 रुपये की राशि अभिभावकों के खाते में भेजी जा रही है।

इसी प्रकार सहायता प्राप्त विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा छह से आठ तक के छात्र-छात्राएं भी डीबीटी योजना का लाभ मिलने की उम्मीद में थे, लेकिन शासन की ओर से सहायता प्राप्त विद्यालयों के लिए डीबीटी की धनराशि घटाकर आधी कर दी गई है।

ऐसे में अब इन छात्र-छात्राओं को डीबीटी के तहत मात्र 600 रुपये ही प्रदान किए जाएंगे। शासन की इस घोषणा से सहायता प्राप्त विद्यालयों के छात्र-छात्राओं व अभिभावकों में मायूसी है।

प्रदेश के सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में कक्षा छह से आठ तक में पढ़ने वाले बच्चों को सिर्फ यूनिफॉर्म का ही पैसा मिलेगा। उन्हें स्वेटर, स्कूल बैग और जूता-मोजा के लिए धनराशि नहीं मिलेगी। अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये के स्थान पर महज 600 रुपये ही भेज जाएंगे।

बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी, मिडिल, जीआईसी और सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में छह से आठ तक में पढ़ने वाले बच्चों को यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, स्वेटर और जूता-मोजा के लिए 1200 रुपये डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए अभिभावकों के खाते में भेजने की तैयारी थी।

अब सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में कक्षा छह से आठ तक पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों के खाते में 1200 की बजाय सिर्फ 600 रुपये ही आएंगे। यह धनराशि केवल यूनिफार्म के लिए होगी। इसी माह के अंत तक अभिभावकों के खाते में धनराशि पहुंचने की संभावना है।

ब्लॉकों के बीआरसी पर बच्चों का डाटा फीड करने का कार्य तेजी से चल रहा है। विभाग का मानना है कि जिन अभिभावकों का आईएफएससी कोड और खाता नंबर सही होगा उनके खाते में ही रुपये आएंगे।

खाता बंद होने पर नहीं आएगी धनराशि

ग्रामीण इलाकों में कई अभिभावक ऐसे हैं, जिनके खाते में वर्षों से लेन-देन नहीं हुआ है। ऐसे खातों को बैंक अफसर बंद कर देते हैं। अगर किसी लाभार्थी का खाता बंद रहता है, तो उसके खाते में अनुदान की राशि नहीं आएगी।