सैकड़ों बेरोजगारों की शिक्षक बनने की आस 11 साल में भी पूरी नहीं हो सकी। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए नवंबर 2011 में प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन तकरीबन 11 साल बाद भी विवाद खत्म नहीं हो सका है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नियुक्ति नहीं होने के कारण सैकड़ों अभ्यर्थी अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।
72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में जौनपुर के पवन कुमार प्रजापति, बरेली के हरिओम मौर्य और बाराबंकी के वीरेश कुमार वर्मा समेत सैकड़ों अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के खिलाफ याचिका की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सात दिसंबर 2015 को 1100 याचिकाकर्ताओं को भी नियुक्ति पत्र जारी करने के आदेश दिए थे। सरकार ने 862 याचिकाकर्ताओं को तो नियुक्ति पत्र दे दिया लेकिन पवन समेत 238 याचिकाकर्ताओं को तकनीकी कारणों से नियुक्ति नहीं दी।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 फरवरी 2016 को फिर से आदेश दिया कि जिस प्रकार 862 याचीगणों को नियुक्ति दी गई उसी प्रकार शेष याचीगणों को भी नियुक्ति दी जाए। लेकिन सरकार ने आदेश का पालन नहीं किया। ये स्थिति तब है जबकि इसी भर्ती में 171 ऐसे अनर्ह अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई है, जो सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते हैं।
उच्च स्तरीय बैठक में भी उठा था मसला
इसी साल दो मार्च को प्रमुख सचिव बेसिक दीपक कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी 72825 शिक्षक भर्ती का मसला उठा था। सुप्रीम कोर्ट में दायर विभिन्न प्रार्थनापत्र के 580 याचीगण के संबंध में निर्णय लिया जाना है। इस संबंध में एससीईआरटी और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से रिपोर्ट मांगी गई थी। लेकिन सात महीने बाद भी कुछ नहीं हुआ।