परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय द्वारा अप्रैल माह में स्नातक पास अभ्यर्थियों से डीएलएड प्रशिक्षण में दाखिले के लिए आवेदन मांगें थे। 15 अगस्त के बाद आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू हुई। कॉउंसलिंग के दौरान अभ्यर्थियों ने कॉलेज का चयन किया। कॉलेज अलॉट होने के बाद अभ्यर्थियों ने दाखिला लेना शुरू किया। लगभग एक माह तक दाख़िले की प्रक्रिया जारी रही।
इसके बाद जब कॅालेजों का सर्वे से आंकड़ा जुटाया गया तो पता चला कि 50 फीसदी सीटें भी नही भर पाई हैं। कुछ कॉलेजों की स्थिति यहां तक पाई की एक भी दाखिला नही हो पाया था।कॉलेजों की मांग पर शासन ने 28 सिंतबर तक सीधे दाखिल लेने का आदेश का कॉलेजों को दे दिया। सीधे दाख़िले में उन्हीं अभ्यर्थियों का प्रवेश लेने की अनुमति थी।
जिन्होंने डीएलएड प्रशिक्षण में दाखिले के लिए आवेदन किया था। सीधे दाखिला लिए जाने के बाद भी कॉलेजों में 50 फीसदी सीटें भी नही भर पाई हैं। वहीं अब शासन ने सीधे दाख़िले की प्रक्रिया को बंद कर दिया। जिले में डायट सहित कुल 80 कॉलेज हैं। जिसमें कुल 8000 सीटें हैं। हालात यह है कि डायट में भी आठ सीटें इस साल खाली रह गयी है। जबकि कुल 4256 सीटें जिले के डीएलएड कॉलेजों में खाली हैं।
मदेर से आया रिजल्ट, नहीं मिला मौका
राज्य विश्वविद्यालय का स्नातक तृतीय वर्ष का परीक्षा परिणाम देर से आने के कारण भी हजारों छात्र इस बार डीएलएड में दाखिला लेने से वंचित रह गए। विश्वविद्यालय ने 16 अगस्त को परीक्षा परिणाम जारी किया। जिससे छात्र डीएलएड में दाखिले के लिए आवेदन नहीं कर पाए। हालांकि रिजल्ट जारी होने के बाद छात्र कॉलेजों में जाकर प्रवेश की जानकारी ले रहे है, लेकिन आवेदन न कर पाने की वजह उनका दाखिला नहीं हो पा रहा है।