छत्रपतिशाहू जी महाराज यूनिवर्सिटी कानपुर के कुलपति विनय पाठक और उनके करीबी अजय मिश्र के कमीशन प्रकरण की जांच कर रही एसटीएफ को कई सुबूत मिलते जा रहे है। साथ ही जांच का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में अब एसटीएफ को पता चला है कि पांच यूनिवर्सिटी में अजय मिश्र व एक अन्य की कम्पनी ने ही संविदाकर्मियों की नियुक्तियां की थी। इन दोनों कम्पनियों की साठगांठ से फर्जीवाड़ा हुआ। इस तथ्य के हाथ लगने पर ही एसटीएफ की दो टीमें एकेटीयू और कानपुर में सीएसजीएमयू में फिर से पहुंची। इस दौरान एक दर्जन से अधिक लोगों से पूछताछ की।
इंदिरा नगर थाने में डिजीटेक्स टेक्नॉलाजिज इंडिया प्रा.लि. के एमडी जानकीपुरम निवासी डेविड मारियो ने कुलपति विनय पाठक और एक्सएलआईसीटी के संचालक अजय मिश्र के खिलाफ कमीशन लेने और मना करने पर प्री व पोस्ट परीक्षा के संचालन की जिम्मेदारी न देने का मुकदमा कराया था। इसकी जांच आगे बढ़ी तो कई खुलासे होते चले। इस मामले में पहले अजय मिश्र और बाद में कमीशन को मैनेज करने के लिये फर्जी ई-वे बिल लगाने के आरोप में गुड़गांव निवासी अजय जैन को गिरफ्तार कर लिया था। इसकी जांच कर रही एसटीएफ ने जब भाषा विश्वविद्यालय, सीएसजीएमयू कानपुर, आगरा की डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, एकेटीयू समेत पांच विश्वविद्यालयों में पड़ताल की थी। एक अधिकारी ने बताया कि इस जांच में नियुक्तियों के खेल के अलावा भी कई चीजों में खूब धांधली की गई है। इन सभी बिन्दुओं पर पड़ताल की जा रही है।
15 नवम्बर का इंतजार एसटीएफ को
एसटीएफ के एक अधिकारी का कहना है कि विनय पाठक की एफआईआर रद्द करने वाली याचिका पर फैसला 15 नवम्बर को आना है। इस फैसले का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जायेगी। हालांकि एसटीएफ अपनी विवेचना लगातार कर रही है।