लखनऊ। प्रदेश में उच्च शिक्षा को आधुनिक व रोजगारपरक बनाने के लिए उसका विस्तार किया जाएगा। इसके लिए सरकार उच्च शिक्षा नीति लाएगी। इनमें निजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए तमाम सुविधाएं दी जाएंगी। जिससे पिछड़े असेवित क्षेत्रों के साथ ही हर जिले में उच्च शिक्षण संस्थान खुलेंगे और विद्यार्थियों को रोजगार के विकल्प भी बढ़ेंगे।
उच्च शिक्षा विभाग इस बाबत एक कॉन्क्लेव आयोजित करने की तैयारी कर रहा है। शुक्रवार को इस संबंध में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व विशेषज्ञों संग शासन स्तर पर विचार किया गया। अधिकारियों के मुताबिक पहले औद्योगिक नीति में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निवेशकों को आकर्षित करने की व्यवस्था होती थी लेकिन अब इसे अलग से तैयार किया जा रहा है। सरकार की प्राथमिकता प्रदेश की अर्थव्यवस्था दस खरब डॉलर की बनाने की है। ऐसे में युवाओं को बेहतर उच्च शिक्षा देने के लिए निजी
क्षेत्र को बढ़ावा देने की तैयारी है। कॉन्क्लेव में प्रदेश ही नहीं देश- विदेश के निवेशकों को आमंत्रित किया जाएगा।
सरकार इसमें निवेशकों से युवाओं के कौशल विकास व उच्च शिक्षा देने के साथ ही उनको रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की अपेक्षाएं बताएगी। वहीं निवेशकों से पूछेगी कि उनको सरकार से क्या उम्मीदें हैं। पीपीपी मॉडल पर शिक्षण संस्था खोलने के विकल्प पर भी चर्चा होगी।
बेसिक व माध्यमिक शिक्षा को भी जोड़ेंगे
यदि कोई निवेशक प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के लिए संस्थान खोलना चाहता है तो उसे इसके लिए सुविधाएं दी जाएंगी। तकनीकी शिक्षा को भी इसमें जोड़ा जाएगा। उच्च शिक्षा नीति में युवाओं को औद्योगिक जरूरतों के मुताबिक दक्ष करने पर जोर दिया जाएगा। जिससे प्रशिक्षित युवाओं को आसानी से रोजगार मिल सके। वहाँ वे अपना उद्यम भी शुरू कर सकें। इसके लिए विषय विशेष का प्रशिक्षण देने वाली संस्थाओं को संस्थान खोलने के लिए अवसर दिए जाएंगे।
वर्तमान में 7300 निजी उच्च
शिक्षण संस्थानः वर्तमान में प्रदेश में लगभग 7900 उच्च शिक्षण संस्थान है। इनमें से 7300 निजी संस्थान है। इसी तरह कुल 50 विश्वविद्यालयों में से 30 निजी विवि हैं। ज्यादातर निजी संस्थाएं नोएडा व आसपास के क्षेत्रों में है।