एनपीएस न कटवाने वाले 1500 शिक्षकों का वेतन रुका जिले के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत हैं 2800 शिक्षक

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एनपीएस कटौती के लिए भरना होगा आवेदन फार्म

संतकबीरनगर। न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के तहत वेतन की धनराशि में कटौती न करवाने वाले परिषदीय विद्यालयों के 1500 शिक्षकों का वेतन विभाग ने रोक दिया है।

इन शिक्षकों ने एनपीएस की कटौती का फार्म नहीं भरा है। विभाग की इस कार्रवाई का शिक्षक संगठनों ने विरोध जताया है।

सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बंद कर नई पेंशन योजना लागू की है। इसके तहत हर शिक्षकों का विभाग से मिले एक आवेदन फार्म को भरकर बीएसए कार्यालय के लेखा विभाग में जमा करना है। इसके बाद शिक्षकों के वेतन से एनपीएस की कटौती शुरू हो जाएगी। जिले में 1247 परिषदीय विद्यालय हैं। इनमें 205 कंपोजिट, 805 प्राथमिक और 192 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं।

इन विद्यालयों में करीब 2800 शिक्षक कार्यरत हैं। एनपीएस का लाभ जिले में करीब 2200 शिक्षक ले रहे हैं। 1500 शिक्षकों ने एनपीएस के लिए आवेदन नहीं किया है। लिहाजा बीएसए कार्यालय के लेखा विभाग ने इन शिक्षकों का नवंबर माह का वेतन रोक दिया। साथ ही यह भी कहा कि जब एनपीएस कटवाने के लिए आवेदन नहीं देते हैं, तब तक वेतन जारी नहीं किया जाएगा।

वेतन रूकने के बाद शिक्षक बीएसए कार्यालय का चक्कर लगाने लगे हैं। राज्य शैक्षिक महासंघ ने नाराजगी जताते हुए शिक्षकों का वेतन तत्काल जारी करने की मांग की है। बेमियादी धरने की चेतावनी दी है।

जीपीएफ और एनपीएस लेने वाले शिक्षकों का वेतन कोषागार में प्रेषित कर दिया गया है। जबकि एनपीएस न लेने वाले शिक्षकों का वेतन रोक दिया गया है। वेतन रोकना मानवाधिकारों का हनन है। यदि शिक्षकों का वेतन पांच दिसंबर तक नहीं आता है तो उसी दिन से शिक्षक बेमियादी धरने पर बैठेंगे।

-नवीन त्रिपाठी, जिलाध्यक्ष, राज्य शैक्षिक महासंघ

परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को एनपीएस की कटौती कराना अनिवार्य है। किसी भी शिक्षक का वेतन नहीं रोका जा रहा है। शिक्षक एनपीएस कटौती का फार्म भरकर जमा कर दें। यदि समस्या आ रही है तो लेखा विभाग से संपर्क कर लें।

-अतुल कुमार तिवारी, बीएसए

वर्ष 2011 के बाद तैनात शिक्षक प्रभावित

वर्ष 2004 में सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया था। इसके बाद वर्ष 2005 में सरकार ने नई पेंशन योजना लागू की थी। इसके तहत शिक्षकों के वेतन से हर माह कुछ रकम की कटौती होती है। जिले में वर्ष 2011 के बाद से तैनात हुए शिक्षकों ने इसका लाभ नहीं लिया।