इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि बीएड विषय के लिए सहायक आचार्यों की भर्ती एनसीटीई के मानकों के अनुसार की जाए। कोर्ट ने कहा है कि एनसीटीई की ओर से निर्धारित न्यूनतम योग्यताएं अधिक मान्य हैं क्योंकि इसका गठन विशेष अधिनियम के तहत हुआ है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह ने अंजू सहित दो अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है।
मामले में उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग ने बीएड विषय के लिए सहायक आचार्य के 75 पदों पर भर्ती केलिए विज्ञापन निकाला था। इसमें निर्धारित न्यूनतम योग्यता यूजीसी के रेगुलेशन 2018 के अनुसार एमएड अथवा शिक्षाशास्त्र में परास्नातक भी अर्ह माने गए थे। जबकि, इस संदर्भ में एनसीटीई की ओर से निर्धारित न्यूनतम योग्यता किसी सामाजिक विज्ञान/गणित/भाषा में परास्नातक के साथ ही एमएड डिग्री अथवा शिक्षाशास्त्र में परास्नातक के साथ बीएड डिग्री होना अनिवार्य माना है। ऐसे में यूजीसी और एनसीटीई की ओर से निर्धारित न्यूनतम योग्यताओं में विरोधाभास को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने याची के पक्ष को अधिक मजबूत माना। कहा, एनसीटीई की ओर से निर्धारित योग्यता अधिक मान्य है क्योंकि इसका गठन विशेष अधिनियम के तहत हुआ है। साथ ही आयोग को न्यूनतम योग्यता को परिवर्तन का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे में आयोग 75 पदों के सापेक्ष एनसीटीई की ओर से निर्धारित न्यूनतम योग्यता के अनुसार बीएड विषय का पुन: विज्ञापन प्रकाशित करे और न्यूनतम योग्यता धारित न करने वाले अयोग्य अभ्यर्थियों की फीस वापस कर भर्ती प्रक्रिया पूरी करे।