फर्जी शिक्षकों से वेतन वसूली में अफसरों के पसीने छूट रहे हैं। सिर्फ देवीपाटन मंडल के चार जिलों गोंडा, बलरामपुर, बहराइच व श्रावस्ती में अब तक 201 फर्जी शिक्षक सामने आए हैं। इनमें से 64 को वेतन के रूप में 12.62 करोड़ रुपये दे दिए गए थे जबकि 137 को कितना पैसा मिला इसका आकलन होना अभी बाकी है। प्रमुख सचिव ने वेतन वसूली में लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए सभी बीएसए से स्पष्टीकरण मांगा है।
इन चारों जिलों में 2008 से अब तक करीब 11 हजार शिक्षकों की नियुक्तियां हुईं हैं। सबसे अधिक नियुक्तियां 2015 से हुईं। भर्तियों में फर्जीवाड़े को लेकर एसटीएफ के साथ ही स्थानीय स्तर पर भी पड़ताल हुई। मानव संपदा पोर्टल पर शिक्षकों का ब्योरा ऑनलाइन होने के साथ ही आधार और पैन कार्ड वेतन के खातों से लिंक कराने पर एक ही अभिलेख पर दो-दो शिक्षकों की नियुक्तियों के मामले उजागर हुए।
ऐसे में फर्जी शिक्षकों की सेवा समाप्त कर केस दर्ज कराने व वेतन की वसूली का आदेश हुआ था। पर गोंडा में दो व श्रावस्ती में 12 लोगों के खिलाफ मुकदमा ही दर्ज नहीं हुआ है। इसी तरह गोंडा में 13, बलरामपुर में 107 और श्रावस्ती में 14 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ अभी तक रिकवरी का आकलन नहीं हो पाया है।
फर्जी शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकता पर कार्रवाई कराने का निर्देश दिया गया है। हड़पे गए वेतन की रिकवरी करानी है। इसमें लापरवाही बरतने वालों से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।
विनय मोहन, सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा