पहली बार बीमा लेने पर अधिक टैक्स छूट संभव

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देश में बीमा को बढ़ावा मिले और लोगों के हाथ में खर्च करने के लिए अतिरिक्त रकम भी पहुंचे इसी उद्देश्य के साथ वित्त मंत्रालय नए-नए सुझावों पर मंथन कर रहा है। हिन्दुस्तान को सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक सरकार को यह भी सुझाव दिया गया है कि पहली बार बीमा खरीदने वालों को अतिरिक्त टैक्स छूट दी जाए।

80सी के तहत मिलने वाली टैक्स छूट वित्तीय निवेश पर मिलती है और बीमा पर निवेश 10-15 साल और कई मौकों पर ज्यादा भी रहता है। ऐसे में इस छूट को अलग करने के साथ साथ इससे जुड़े प्रावधान भी और फायदे वाले बनाने की जरूरत है ताकि लोग अपने भविष्य की आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए टर्म इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस जैसी चीजों की तरफ आकर्षित हों।

मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक सरकार के पास आए सभी सुझावों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है और जल्द ही इन्हें अमलीजामा पहनाया जाएगा। उल्लेखनीय है देश में बीमा की पहुंच अभी काफी कम है।

आंकड़ों के अनुसार देश में बीमा कवरेज कुल आबादी का चार फीसदी से भी कम है। इसकी बड़ी वजह बीमा पॉलिसी का महंगा होना और उसके बारे में जागरुकता का अभाव है। इसके अलावा बीमा दावा के समय कंपनियों की ओर से बेवजह ग्राहकों को परेशान करने की वजह से भी लोग बीमा उत्पाद को फायदेमंद नहीं समझते हैं।

युवाओं और महिलाओं को प्रोत्साहन नए प्रस्तावित प्रावधानों में ऐसे विकल्पों को लाए जाने का सुझाव दिया गया है जो न केवल लोगों को निवेश के लिहाज से किफायती लग सकें बल्कि नए निवेशकों खासकर युवाओं और महिलाओं के लिए बीमा उत्पाद खरीदे जा सकें। अभी बीमा क्षेत्र में बमुश्किल एक तिहाई पॉलिसी महिलाओं से जुड़े रहती है।

इसके अलावा बीमा उत्पादों पर जीएसटी की दरों को भी घटाने के सुझाव दिए गए हैं। अभी इस पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है। सरकार से मांग की गई है कि ऊंचे जीएसटी की वजह से लोगों के लिए बीमा खरीदना महंगा हो जाता है ऐसे में इसे तर्कसंगत बनाया जाए।

बीमा पर कर छूट का दायरा बढ़ाएं

जानकारी के मुताबिक दिए गए सुझाव में यह भी कहा गया है कि बीमा पर अतिरिक्त छूट 80 सी के दायरे के बाहर होनी चाहिए। साथ ही यह भी कहा गया है कि बीमा पर किए गए निवेश को 80सी से बाहर भी निकाला जाना चाहिए। मौजूदा समय में आयकर की धारा 80सी के तहत जीवन बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर 1.50 लाख रुपये टैक्स छूट है। लेकिन 80सी के दायरे में पीपीएफ-होम लोन के मूलधन का भुगतान भी शामिल है। इससे छूट की सीमा कम पड़ती है।