नए सत्र के शुरू होने से पहले ही स्कूलों में फीस वृद्धि की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने शैक्षणिक सत्र 2023-24 में लगभग 12 फीसदी तक वृद्धि का संकेत दिया है। अभिभावक इसके खिलाफ मोर्चा खोलने लगे हैं।
अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए स्कूल फीस में लगभग 12 फीसदी तक वृद्धि की जा सकती है। एसोसिएशन ने इसके लिए उत्तर प्रदेश फीस नियामक अधिनियम 2018 को आधार बनाया है। फीस में वार्षिक वृद्धि का फैसला औसत उपभोक्ता सूचकांक (सीपीआई) की मौजूदा दर को देख कर लिया गया है। सत्र 2022-23 में सीपीआई 6.69 फीसदी घोषित की गई है। वर्ष 2018 के अधिनियम के तहत 6.69 प्रतिशत सीपीआई में पांच फीसदी जोड़ते हुए फीस में 11.69 फीसदी की वृद्धि की जा सकती है। इसी आधार पर जिले के निजी स्कूल फीस वृद्धि का विचार करने लगे हैं। वहीं अभिभावक इस वृद्धि के पक्ष में नजर नहीं आ रहे हैं। अभिभावक संघ का मानना है कि स्कूलों ने सत्र 2022-23 में बिना किसी पूर्व सूचना के बीच सत्र में फीस बढ़ाई थी। इसलिए अब फीस वृद्धि सही नहीं है।
अभिभावक संघ के अध्यक्ष अंकुर सक्सेना ने कहा कि इस बार स्कूलों ने फीस बीच सत्र में बढ़ाई थी। शुल्क अधिनियम के अनुसार फीस बढ़ाने से 30 दिन पहले वेबसाइट पर डालनी होती है। ऐसा नहीं हुआ। इसलिए अब फीस नहीं बढ़नी चाहिए।
इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन के सचिव निर्भय बेनीवाल ने कहा कि स्कूल एसोसिएशन ने 12 फीसदी तक फीस वृद्धि के लिए कहा है। सीपीआई के आधार पर इसको तय किया गया है। स्कूल अपने-अपने अनुसार इस विषय में फैसला ले सकते हैं।
अभिभावक दानिश जमाल ने कहा कि शासन ने निजी स्कूलों पर अंकुश लगाने के लिए शुल्क समिति बनाई है मगर यह शुल्क समिति ठंडे बस्ते में ही पड़ी रहती है। इसको अपनी भूमिका निभानी चाहिए। स्कूलों की मनमानी पर नियंत्रण करना बेहद आवश्यक है।
माधव राव सिंधिया स्कूल के प्रबंधक सौरभ अग्रवाल ने कहा कि स्कूल सरकार के निर्देश के अनुसार ही फीस वृद्धि करते हैं। कोविड के दौरान भी सभी निर्देश माने गए। इस बार 12 फीसदी तक वृद्धि का प्रस्ताव है मगर हम अभिभावकों का पूरा ध्यान रखेंगे।