यूपी में बुनियादी शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से सुधार हुआ है। निजी स्कूलों की अपेक्षा सरकारी स्कूलों में दाखिले बढ़े हैं। यूपी में पिछले 15 सालों में जहां 95 फीसदी ही बच्चे स्कूल जाते थे, वहीं वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 97 फीसदी तक पहुंच गया।
स्कूलों में नामांकन की स्थिति ऐनुअल स्टेट ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) वर्ष 2022 में यह जानकारी दी गई है। असर ने यूपी के 70 जिलों के 2096 गांवों के 41910 घरों का सर्वे किया। इसमें 3 से 16 वर्ष की आयु के 91158 बच्चों को शामिल किया गया। यूपी में 6 से 14 वर्ष के बच्चों का नामांकन 2018 में 95.2 फीसदी से बढ़कर 2022 में 97.1 फीसदी दर्ज किया गया है। यह पिछले 15 सालों की तुलना में सबसे अधिक रहा।
सरकारी स्कूलों में वर्ष 2006 से 2014 तक 6 से 14 वर्ष के बच्चों के नाम लिखाने के अनुपात में लगातार गिरावट देखी गई। वर्ष 2014 में यह 64.9 फीसदी था। अगले चार सालों में इसमें अधिक बदलाव नहीं हुआ, लेकिन 2022 में दाखिले में बढ़ोतरी हुई और यह 72.9 हो गया। यूपी में निजी की अपेक्षा सरकारी स्कूलों में दाखिले का प्रतिशत बढ़ा है।
लड़कियों के दाखिले बढ़े प्रदेश में वर्ष 2006 में 11 से 14 वर्ष की 11.1 प्रतिशत लड़कियां स्कूल नहीं जा रही थीं। वर्ष 2018 में घटकर 7.4 और 2022 में 4.1 रह गया, जबकि अन्य राज्यों में यह प्रतिशत और भी कम है। इसके इतर 15 से 16 साल में 15 नहीं जा रही हैं।
यूपी में पाठ पढ़ने का औसत भी बढ़ा
सरकारी व निजी स्कूलों के कक्षा तीन के बच्चे जो वर्ष 2018 में पाठ पढ़ने का औसत 27.3 था जो 2022 में गिरकर 20.5 हो गया, लेकिन यूपी में वर्ष 2018 में यह 28.3 था जो 2022 में 24 हो गया। सरकारी स्कूलों में यह आंकड़ा बढ़कर 16.4 फीसदी हो गया।
घरों या कोचिंग में ट्यूशन पढ़ना अधिक पसंद
ट्यूशन लेने के चलन में तेजी से इजाफा हुआ। स्कूलों के अलावा बच्चे घरों या कोचिंग में ट्यूशन पढ़ना पसंद कर रहे हैं। ग्रामीण भारत में कक्षा एक से आठ तक बच्चों में ट्यूशन लेने की वृद्धि देखी गई है। सरकारी और निजी स्कूलों में वर्ष 2018 से 2022 के बीच यह अनुपात दोनों में बढ़ा है।