उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की सबसे प्रतिष्ठित सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा (पीसीएस) की मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय हटाने की चर्चा एक फिर तेज हो गई है।
पीसीएस 2023 के विज्ञापन में देरी का कारण भी इसी संभावित बदलाव को बताया जा रहा है। हालांकि आयोग की ओर से इस मुद्दे पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। एक बात तो तय है कि मेन्स से वैकल्पिक विषय हटता है तो हिन्दी पट्टी के छात्रों की मांग पूरी हो जाएगी।
सूत्रों के अनुसार मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय हटाने का प्रस्ताव आयोग की ओर से शासन को पहले ही भेजा जा चुका है। वैकल्पिक विषय हटने से स्केलिंग विवाद का अंत होने के साथ मानविकी और विज्ञान वर्ग के सभी छात्रों में समानता हो जाएगी। अभी विज्ञान वर्ग के छात्र विज्ञान के विषयों जैसे गणित, भौतिकी आदि में अधिकतम अंक लाकर चयनित हो जाते हैं। जबकि मानविकी के विषयों जैसे हिंदी, इतिहास, समाजशास्त्रत्त् आदि में इतने अंक लाना संभव नहीं हो पाता और यही सबसे बड़ा विवाद का कारण है।
भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह का कहना है कि पीसीएस 2018 में गैर राज्यों और विज्ञान पृष्ठभूमि के छात्रों का अधिक चयन होने के बाद से वह लगातार यह मांग उठा रहे हैं। सरकार को पीसीएस मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय हटा लेना चाहिए जिससे सभी विषयों के छात्रों को समान अवसर मिल सके।
कई राज्यों ने वैकल्पिक विषय समाप्त किया
प्रयागराज। पीसीएस मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय को बिहार, झारखंड, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश जैसे हिन्दी पट्टी के राज्यों ने पहले ही समाप्त कर दिया है। वैकल्पिक विषय की जगह यूपी स्पेशल जोड़ने की तैयारी है। इस बदलाव से हिंदी और अंग्रेजी माध्यम के छात्र लगभग समानता के स्तर पर आ जाएंगे क्योंकि अंतिम चयन सामान्य अध्ययन के अंकों के आधार पर होगा।