इस साल अप्रैल से जीवन बीमा पॉलिसी खरीदनी महंगी हो सकती है। केंद्रीय बजट 2023 में यूनिट-लिंक्ड उत्पादों (यूलिप) के अलावा पारंपरिक बीमा पॉलिसियों से होने वाली आय पर कर लगाने का प्रस्ताव है। इससे कंपनियों की कमाई पर असर पड़ने की आशंका है जिसकी वजह से वह प्रीमियम महंगा कर कुछ हद तक भरपाई की योजना बना रही हैं।
इस साल बजट में एक साल में पांच लाख रुपये से ज्यादा प्रीमियम वाली पॉलिसी की कमाई पर कर लगाने का ऐलान किया गया है जो एक अप्रैल से लागू होना है। इससे जीवन बीमा कंपनियों के राजस्व वृद्धि पर असर पड़ने की संभावना है। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इसके अलावा कोरोना के बाद जीवन बीमा पॉलिसी में दावे बढ़ने के साथ बीमा कवर बढ़ाने की मांग में भी तेजी आई है जिससे कंपनियों की कमाई पर असर पड़ रहा है। वहीं रीइश्योरेंस कंपनियां भी प्रीमियम बढ़ा रही हैं।
उपभोक्ताओं पर दोहरा बोझ पड़ने का अनुमान उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि बीमा कंपनियां उपभोक्ताओं को हमेशा अपने साथ बनाए रखने के लिए कम से कम बोझ डालना चाहती हैं। लेकिन प्रीमियम बढ़ाने की स्थिति में उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ना तय है। इसके अलावा कंपनियां ग्राहकों की जरूरत के मुताबिक पॉलिसी पेश करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करती हैं जिसपर अब वह खर्च घटा सकती हैं।
मांग घटने का डर सता रहा
बीमा पॉलिसी प्रीमियम को कम से कम बढ़ाने के लिए सभी बीमा कंपनियां वैश्विक रीइंश्योरेंस कंपनियों से बातचीत कर रही हैं। कोरोना काल के बाद लोगों में बीमा पॉलिसी लेने को लेकर जागरुकता बढ़ी है। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि प्रीमियम के महंगा होने से बीमा पॉलिसी की मांग पर असर पड़ सकता है।
रीइंश्योरेंस कंपनी उन्हें कहा जाता है जो बीमा कंपनियों को इंश्योरेंस देती हैं। रीइंश्योरेंस बीमा कंपनियों को जोखिम घटाने में मदद करने, पूंजी की जरूरतों को कम करने और दावों के भुगतान में मदद करती हैं। वहीं बीमा कंपनियां वह कंपनियां हैं जो उपभोक्ताओं को सीधे बीमा पॉलिसी बेचती हैं।
रीइंश्योरेंस कंपनियां फिर अपना प्रीमियम बढ़ाने वाली हैं जो अंतत आप चुकाएंगे।