लखनऊ। 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण प्रक्रिया का ठीक से पालन न किए जाने पर 1 जून, 2020 को जारी चयन सूची को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 3 माह में संशोधित करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की एकल पीठ ने सवा सौ याचिकाओं पर अपना आदेश पारित करते हुए आरक्षित वर्ग के अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी, 2022 को जारी चयन सूची को भी खारिज कर दिया। इस सूची को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि इसे बिना किसी विज्ञापन के जारी किया गया था।
याचियों की तरफ से कोर्ट को बताया कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमावली का ठीक से पालन नहीं किया गया इस कारण आरक्षित वर्ग में चयनित 18,988 अभ्यर्थियों को जारी कटऑफ में 65 प्रतिशत से ज्यादा अंक प्राप्त करने के बावजूद सामान्य श्रेणी की सूची में शामिल नहीं किया गया। इनकी नियुक्ति प्रक्रिया को आरक्षित श्रेणी में ही पूरा कर दिया गया, जो आरक्षण नियमावली का उल्लंघन था। इससे आरक्षित श्रेणी के अन्य अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका। इसी को लेकर दाखिल याचिकाओं में चयन सूची को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि आरक्षित श्रेणी के उन अभ्यर्थियों को भी आरक्षित श्रेणी में ही जगह दी गई है, जिन्होंने अनारक्षित के लिए तय कट ऑफ मार्क्स प्राप्त किए हैं।
जबकि, अनारक्षित अभ्यर्थियों की याचिकाओं में कहा गया था कि आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों को गलत तरीके से अनारक्षित वर्ग में रखा गया, जिन्होंने टीईटी व सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में आरक्षण का लाभ ले लिया था। एक बार आरक्षण का लाभ लेने के बाद अनारक्षित वर्ग में अभ्यर्थियों का चयन किए जाने को विधि विरुद्ध बताया गया था, जबकि दो याचिकाओं में आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी, 2022 की चयन सूची को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने निर्णय में कहा कि टीईटी में आरक्षण का लाभ लेने वाले को सामान्य श्रेणी का कट ऑफ मार्क्स पाने पर अनारक्षित वर्ग में रखा जाना सही है, क्योंकि टीईटी एक अभ्यर्थी को सिर्फ सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में भाग लेने के लिए उपयुक्त बनाता है।