69000 शिक्षक भर्ती MRC विवाद, जाने आप

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69000 शिक्षक भर्ती MRC विवाद, जाने आप

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि सिंगल बेंच का आदेश आ चुका है सिंगल बेंच का जो आदेश आया है वह आरक्षित वर्ग के हित मे नही है लेकिन एक चीज है जो उन्होंने आदेश में सही से स्पष्ट की है वह है की MRC को किस तरीके से लागू करना है

 क्योंकि जब 67867 की चयन सूची आई थी तभी मैंने 8 जून 2020 को एक पोस्ट डाल कर बताया था कि ओबीसी को पूरी सीटें ना मिलने का कारण MRC को गलत तरीके से इंप्लीमेंट करना है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश

Samta andolan samiti &anr vs Union of india &ors

Bench:K.S.Radhakrishnan,A.K.Sikri

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In other words, while a reserved category candidate entitled to admission on the basis of his merit will have the option of taking admission in the colleges where a specified number of seats have been kept reserved for reserved category but while computing the percentage of reservation he will be deemed to have been admitted as an open category candidate and not as a reserved category candidate.”*

में जो लॉजिक किया है वह फॉलो ही नहीं हुआ था इसी वजह से ओबीसी की कट ऑफ बहुत हाई गई थी और ओबीसी को पूरी सीटें नहीं मिली थी

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आपको सिंगल बेंच के आदेश को डबल बेंच में चैलेंज करना ही होगा क्योंकि सिंगल बेंच ने हाई कोर्ट की डबल बेंच के राघवेंद्र प्रताप सिंह एवं सुप्रीम कोर्ट के रामशरण मौर्य के आदेश को ही इग्नोर कर दिया है जो कि कहीं से भी न्याय संगत नहीं है क्योंकि उसमें स्पष्ट था कि ATRE एग्जाम चयन प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है यही कारण था कि शिक्षामित्र 40-45 पर हार गए

लेकिन सिंगल बेंच ने अपने आदेश में लिखा है Thus, ATRE was envisaged to be both qualifying in nature and

also an integral part of the selection process as the marks obtained

in ATRE was to be included in the final merit list prepared for the

purposes of selection इसमें सिंगल बेंच ने ATRE को चयन प्रक्रिया का पार्ट माना है

दूसरा बिंदु ये है की जज साहब ने कहा है कि आरक्षित वर्ग के ऐसे व्यक्ति जो 90 से 97 नंबर के बीच में हैं वह अपनी ही कैटेगरी में रहेंगे यह भी कहीं से न्याय संगत नहीं है क्योंकि उत्तर प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 के विपरीत है

4 यही सिंगल बेंच ने बोला है कि लिस्ट रिविजिट करते हुए 1994 एक्ट की धारा 3(1),3(6) का पालन करते हुए चयन सूची बनाई जाए एक तरफ आप बोल रहे हैं ATRE में 90-97 के बीच मे मार्क्स पाने वाले अपने वर्ग में ही रहेंगे और दूसरी तरफ आप 1994 एक्ट के अनुसार चयन सूची बनाने की बात करते है जोकि आपस में ही विरोधाभासी है

फिर भी मान लेते है किसी व्यक्ति को आप कम से कम एक बार तो आरक्षण देंगे मान लीजिए कि किसी व्यक्ति के 95 नंबर हैं उसने एक बार आरक्षण ले लिया और उसका क्वालिटी पॉइंट मार्क्स सामान्य वर्ग की कटऑफ से अधिक है तो वह सामान्य वर्ग में ही तो जाएगा उसने आरक्षण तो एक ही बार लिया लेकिन ऑर्डर बोल रहा है कि वह अपने वर्ग में ही जाएगा ऐसा कैसे ?? चयन सूची में तो आपने सिर्फ एक बार आरक्षण लेकर ही स्थान बनाया है (फिर यहां दोहरा आरक्षण कहाँ हुआ)

*मेरा ओपिनियन है कि यहां सिंगल बेंच  Relaxation और Reservation कॉन्सेप्ट को समझने में विफल रही  क्योंकि 5% कोई रिजर्वेशन नही सिर्फ रिलेक्ससेशन मात्र है*

68500 भर्ती में SM परीक्षा में वेटेज मांग रहे थे SA 812/2018तब तत्कालीन चीफ जस्टिस डी बी भोंसले जी की बेंच ने भी ATRE को क्वालीफाइंग/शार्ट लिस्टिंग माना था और कहा था इसके बाद ही आपको चयन प्रकिया में वेटज मिलेगा

फिर भी पता नही क्यों सिंगल बेंच ने इन पहलुओ को टच नही किया

अब आरक्षित वर्ग को इन्हीं दो बिंदुओं पर सबसे अधिक मेहनत करते हुए आदेश को डबल बेंच में चैलेंज करना है

सबसे जरूरी बात:

1-आपको डबल बेंच में प्रेयर करनी है कि सरकार उत्तर प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 एक्ट के अनुसार चयन सूची जिसमें क्वालिटी पॉइंट मार्क्स एवम अभ्यर्थी किस कैटेगरी का है और किस कैटेगरी में चयनित हुआ इस डिटेल के साथ चयन सूची को डिसेंडिंग क्रम में बनाते हुए बेसिक शिक्षा परिषद की साइट पर अपलोड करें(क्योंकि जब तक चयन सूची सार्वजनिक नहीं होगी तब तक आप लोग भले कितना भी शोर करे कि इतना घोटाला हुआ है आप सिद्ध नही कर पाएंगे)

2- चयन सूची बनने के उपरांत MRC फॉलो करते हुए जिला आवंटन सूची जारी हो( पिछली बार सरकार में सीधे एमआरसी लागू करते हुए सूची जारी की थी इस वजह से आरक्षित अभ्यर्थी को उनका पूरा कोटा नहीं मिला)

*इस विवाद का सही अंत जब ही हो सकता है जब चयन सूची और जिला आवंटन सूची अलग अलग बने*

उक्त दोनों प्रेयर बहुत जरूरी है साथ ही आपके एडवोकेट को लगता है वह सभी प्रेयर डबल बेंच में की जाए क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट से जाएगा वहां आपको इससे बहुत मदद मिलेगी दूसरी चीज मैंने 6800 लोगों को कई बार समझाया कि आप लोग जो गलत 6800 चयनित हैं उनको बाहर करने/ सैलरी रोकने की प्रेयर करिए एवम अंतरिम राहत देते हुए आपको भी नियुक्त किया जाए और फाइनल जो जीते वो कंटिन्यू रहे लेकिन ये लोग सरकार के भरोसे बैठे रहे 

*अगर सरकार डबल बेंच जाती है तो ठीक वरना आरक्षित अभ्यर्थियों को डबल बेंच में सरकार के भरोसे न रहकर दमदार पैरवी करनी चाहिए*