नोएडा। यूपी बोर्ड के स्कूलों के शिक्षक बोर्ड कॉपियां जांचने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। 63 शिक्षक बीमारी और 178 शिक्षक अन्य कारणों से रविवार को कॉपी जांचने के लिए केंद्र पर ही नहीं पहुंचे। अब विभाग के सामने समय पर मूल्यांकन पूरा करना चुनौती हो गया है। विभाग का कहना है कि कोई भी शिक्षक बहाना बनाकर मूल्याकंन से नहीं बच सकता है। अनुपस्थित शिक्षकों को नोटिस जारी किया गया है। बीमार शिक्षकों को मेडिकल सर्टिफिकेट लगाना होगा।
जिले के शिक्षकों को 12वीं की 57,025 कॉपियां जांचने के लिए मिली हैं। इसके लिए बोर्ड की ओर से 266 शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है। इसमें से 25 शिक्षकों ने मेडिकल सर्टिफिकेट लगाकर ड्यूटी लिस्ट से नाम हटवा लिया है। अब 244 शिक्षकों को बोर्ड की कॉपी की जांच करनी है। उनमें से 70 शिक्षक कॉपी चेक करने नहीं पहुंचे। सिर्फ 171 शिक्षक ही कॉपी चेक कर रहे हैं।
वहीं, 10 वीं की 90,899 कॉपियों को जांचने के लिए 487 शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। इसमें से 38 शिक्षकों ने मेडिकल सर्टिफिकेट देकर ड्यृटी लिस्ट से नाम हटवा लिया है और 108 शिक्षक कॉपी जांचने नहीं पहुंचे।
कॉपी जांचने के लिए मिलता है मानदेय
कॉपी जांचने के लिए बोर्ड की ओर से शिक्षकों को प्रतिकॉपी के हिसाब से मानदेय दिया जाता है। 10वीं की कॉपी जांचने के लिए प्रति कॉपी 11 रुपये और 12वीं की कॉपी जांचने के लिए 13 रुपये शिक्षकों को दिए जाते हैं।
ट्रेनिंग में भी नहीं पहुंचे शिक्षक
मूल्याकंन कार्य शुरू करने से पहले शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वो बोर्ड के नियमों को जान सके। लेकिन ट्रेनिंग कार्यक्रम में भी 15 प्रतिशत शिक्षक नहीं पहुंचे। ऐसे में विभाग की ओर से छूटे हुए शिक्षकों के लिए अगले दिन ट्रेनिंग कार्यक्रम रखना पड़ा। इस वजह से छूटे हुए शिक्षकों ने एक दिन बाद से मूल्यांकन शुरू किया।
मूल्यांकन से पहले आयोजित ट्रेनिंग कार्यक्रम में 15 प्रतिशत शिक्षक नहीं आए। उन्हें नोटिस जारी किया गया है। ऐसे में कोई भी शिक्षक मूल्यांकन के दौरान अनुपस्थित नहीं रह सकता। कुछ शिक्षकों ने मेडिकल लगाया है। सिर्फ उनको ही छूट दी गई है।
डॉ धर्मवीर सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक