केंद्र सरकार छात्रों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा संस्थानों तक दिशानिर्देशों का व्यापक ढांचा तैयार कर रहा है। इसके तहत छात्रों को किसी भी खतरे और सामाजिक भेदभाव से सुरक्षा देने पर काम किया जाएगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और भेदभाव के प्रति जीरो टॉलरेंस के विषय पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार, स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग, सीबीएसई, एआईसीटीई व यूजीसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बैठक में भाग लिया।
बैठक में प्रधान ने वरिष्ठ अधिकारियों से साझा जिम्मेदारी के साथ एक प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करने को कहा। उन्होंने ऑनलाइन माध्यम से सभी हितधारकों से सुझाव आमंत्रित करने को भी कहा है। बैठक में विभिन्न विषयों जैसे लैंगिक समानता, जाति संवेदनशीलता, शैक्षणिक दबाव को कम करना, परामर्श की मजबूत प्रणाली आदि पर चर्चा की गई।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि मंत्रालय ने शैक्षणिक तनाव को कम करने के लिए समय-समय पर कई कदम उठाए हैं। इनमें 13 क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा की शुरुआत, 13 भाषाओं में प्रवेश परीक्षा, छात्रों को मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए मनोदर्पण पहल, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों की रोकथाम और उपचारात्मक उपायों पर दिशानिर्देश शामिल हैं। शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों केसाथ उच्च स्तरीय बैठक में कहा कि शैक्षणिक जीवन छात्रों के लिए मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक परिवर्तनों का एक महत्वपूर्ण चरण है।