यूपी के आजमगढ़ में 22 मार्च को प्राइमरी यानी आठवीं तक के स्कूलों को बंद रखने का आदेश जारी किया गया है। जिलाधिकारी ने चेटीचंद जयंती के उपलक्ष्य में जिले भर के परिषदीय विद्यालयों को बंद रखने का आदेश दिया है। जिलाधिकारी के निर्देश के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को इसका आदेश जारी किया है।
चैत्र शुक्ल द्वितीया से सिंधी नववर्ष का आरंभ होता है। इसे चेटीचंड के नाम से जाना जाता है। चैत्र मास को सिंधी में चेट कहा जाता है और चांद को चण्डु। चेटीचंड का अर्थ चैत्र का चांद होता है। इस बार यह पर्व 22 मार्च को है। इस पर्व के पीछे भी पौराणिक कथाएं हैं।
चेटीचंड को अवतारी युगपुरुष भगवान झूलेलाल के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म सद्भावना और भाईचारा बढ़ाने के लिए हुआ था। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत के अन्य प्रांतों में आकर बस गए हिंदुओं में झूलेलाल को पूजने का प्रचलन ज्यादा है।
उपासक भगवान झूलेलाल को उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिन्दपीर, लालसाँई, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल आदि नामों से भी पूजते हैं। भगवान झूलेलालजी को जल और ज्योति का अवतार माना गया है। इसलिए लकड़ी का मंदिर बनाकर उसमें एक लोटे से जल और ज्योति प्रज्वलित की जाती है और इस मंदिर को श्रद्धालु चेटीचंड के दिन अपने सिर पर उठाते हैं, जिसे बहिराणा साहब भी कहा जाता है।