प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों की पदोन्नति के लिए नए सिरे से बनेगी नीति

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प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की पदोन्नति के लिए अब नए सिरे से नीति बनाई जाएगी। नई नीति में प्राइमरी स्कूलों में तीन साल में ही अध्यापकों को प्रोन्नति देने का प्रस्ताव है। साथ ही पदोन्नति के बाद इन्हें प्राइमरी में ही हेड मास्टर भी बनाया जाएगा। अब तक सहायक अध्यापक से अध्यापक के पद पर पदोन्नति पाने वालों को उच्च प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक के पद पर भेजा जाता रहा है। पदोन्नति भी पांच सालों के अन्तराल पर ही की जाती है।

प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पड़े ढ़ाई लाख से अधिक पदों को भरने के लिए सरकार नए फार्मूले पर विचार कर रही है। इससे बेसिक स्कूलों में शिक्षकों के साथ-साथ हेड मास्टरों के रिक्त पद भी आसानी से भर जाएंगे। साथ ही शिक्षकों को तीन सालों की सेवा पर ही पदोन्नति मिल जाने से उनका एक बड़ा वर्ग भी संतुष्ट और खुश हो जाएगा। शिक्षा विभाग के सूत्रों की माने तो एक दशक से भी अधिक समय से जारी शिक्षक भर्ती की कवायद अब तक पूरी नहीं पाने से शिक्षकों में भारी आक्रोश है। कारण भारी संख्या में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं, जिसका नतीजा यह है कि उन पर शिक्षण कार्य के साथ-साथ तमाम प्रकार के सरकारी कार्यों का भी दबाव बढ़ता जा रहा है।

दिन प्रतिदिन खाली पदों की संख्या बढ़ती जा रही है और कार्यरत शिक्षकों पर कार्य का भार। ऐसे में नया रास्ता निकालने का प्रयास किया जा रहा है ताकि शिक्षकों का आक्रोश कम हो सके। इस संबंध में तैयार हो रही नई नीति में बेसिक स्कूलों में तीन साल पर ही पदोन्नति देकर उन्हें उसी विद्यालय में हेड मास्टर बनाया जाएगा। अभी सहायक अध्यापक से अध्यापक के पद पर पदोन्नति पाने वालों को उच्च प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक के पद पर तैनाती दी जाती है। इससे प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी रहती है। इसलिए तय किया गया है कि तीन साल पर पदोन्नति पाने वालों को उसी स्कूल में हेड मास्टर बना दिया जाए। सूत्र बताते हैं कि जल्द ही इस तरह का एक प्रस्ताव विभाग की ओर से शासन को भेजा जाएगा। समझा जाता है कि शासन के निर्देश पर ही इस तरह की नीति तैयार की जा रही है ताकि रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाए।